भोपाल। हर साल जब दिसंबर आता है तो लोगों के जेहन में वो दर्द उभरने लगता है, जिसका जख्म 2 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल को मिला था। इसके बाद से आज भी लोग उसका दंश झेल रहे हैं, वहीं लोगों को मरहम लगाने के लिए लाखों रुपए मुआवजा बांटा, लेकिन आरोपी कभी गिरफ्त में नहीं आया। मुख्य आरोपी को भगाने में जिन दो लोगों ने भागने में मदद की थी उनके नाम 32 साल बाद सामने आ पाए।
2-3 दिसंबर 1984 की रात और उसके कई सालों तक भोपाल की जनता ने गैस कांड ( bhopal gas tragedy ) की जो त्रासदी झेली, उसकी भयावहता की दुनिया गवाह है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री ( union carbide factory ) से लीक हुई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस ( methyl isocyanate ) ने पूरे भोपाल की आबोहवा को जहरीली कर दिया था। इस घटना के लिए वो भी जिम्मेदार थे, जो यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन को बचाने के लिए और सुरक्षित करने में लग गए थे। उन्हें बचाने के लिए जो कुछ भी हुआ वो 7 दिसंबर को हुआ, लेकिन, उसका सच 32 साल बाद दुनिया के सामने आ सका...।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने दो साल पहले गैस पीडि़त संगठनों की ओर से पेश निजी इस्तगाशे पर यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन रहे वॉरेन एंडरसन को भगाने में मदद करने पर तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वराज पुरी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने को कहा था।
एयरपोर्ट छोड़ने गए थे स्वराजपुरी:-
एंडरसन को तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी शाम करीब 4 बजे रेस्ट हाउस से खुद की गाड़ी में एयरपोर्ट लेकर पहुंचे थे, जहां पहले से खड़े विमान में एंडरसन तत्काल पहले दिल्ली पहुंचा और वहां से अमेरिका भाग गया।
इन्हें किया था गिरफ्तार:-
पंचनामे में उल्लेख है कि अपराध क्र. 1104/84, भादंवि की धारा 304, 304 ए, 284, 120 बी, 278, 429, 436 और 92 फैक्ट्री एक्ट के अंतर्गत यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन अमेरिका के अध्यक्ष वारेन एम एंडरसन आत्मज स्व. जॉनमार्टन एंडरसन उम्र 63 वर्ष निवासी 54 ग्रेनिज हिल्स यूएसए, यूका के चेयरमैन केशव महिंद्रा निवासी पेडर रोड बॉम्बे व एमडी विजय गोखले निवासी बॉम्बे को गिरफ्तार कर रेस्ट हाउस में रखा गया।
यह लगाई थी धाराएं:-
भोपाल गैस त्रासदी में जहरीली गैस से हुईं हजारों मौतों को लेकर हनुमानगंज पुलिस ने भादंवि की धारा 304, 304ए, 284, 120 बी, 278, 429, 436 और 92 फैक्ट्री एक्ट के तहत यूनियन कार्बाइड यूएसए के चेयरमैन वारेन एम एंडरसन, अध्यक्ष केशव महिंद्रा, एमडी विजय गोखले समेत यूका के तत्कालीन भोपाल में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
टीआई ने पहुंचाया रेस्ट हाउस:-
एंडरसन, महिंद्रा और गोखले तीनों 7 दिसंबर की सुबह करीब 10 बजे एक ही विमान से एयरपोर्ट पहुंचे थे। तीनों को भोपाल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था। हनुमानगंज के तत्कालीन टीआई सुरेंद्र सिंह तीनों को लेकर श्यामला हिल्स स्थित यूका के रेस्ट हाउस पहुंचे। वहां तीनों का गिरफ्तारी पंचनामा बनाया गया। एंडरसन को गैरकानूनी रूप से निजी मुचलके और जमानत पर छोड़ दिया गया। सिर्फ गिरफ्तारी पंचनामे पर एंडरसन के हस्ताक्षर लिए गए थे, जबकि निजी मुचलके, जमानतनामे पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए।
नहीं थे एंडरसन के दस्तखत:-
निजी मुचलके में उल्लेख किया गया था कि 'मैं वारेन एम एंडरसन आत्मज स्व. जॉन मार्टन एंडरसन उम्र 63 वर्ष निवासी 54 ग्रेनिज हिल्स यूएसए ( USA ) का हूं। मुझे हनुमानगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया, इकरार करता हूं कि पुलिस या अदालत के आदेश दिए जाने पर ही देश छोड़ूंगा।' जबकि इस निजी मुचलके पर एंडरसन के दस्तखत ही नहीं हैं। वहीं यूका के जनरल एकाउंटेंट एएम कुरुविला के जमानत नामे पर एंडरसन को छोड़ा गया। इस पर भी एंडरसन के हस्ताक्षर नहीं है। एंडरसन के निजी मुचलके और जमानतनामे में जिस जगह धाराएं अंकित हैं उसमें छेड़छाड़ स्पष्ट नजर आ रही है।