भोपाल। सोशल मीडिया(Social Media) पर हुई दोस्ती से एक कंपनी में एचआर पति व शिक्षिका पत्नी के रिश्ते में भू-चाल आ गया। यह खुलासा तब हुआ, जब पत्नी के प्रेगनेंट होते ही पति ने अपने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का सच पत्नी के सामने कह सुनाया। पति का सोचना था कि प्रेगनेंट होने के कारण अब पत्नी उसे छोड़कर नहीं जा सकती। बच्चे के कारण अब उसके साथ रहना पत्नी की मजबूरी हो गई है, लेकिन पत्नी ने पति की इस सोच को गलत साबित कर दिया। मामले में पत्नी ने साफ कह दिया है कि उसे पति से तलाक चाहिए। मामला कटारा हिल्स का है। यह मामला सोशल मीडिया से उपजे प्रेम प्रसंग का है, जिसका पूरा खुलासा कुटुंब न्यायालय में काउंसिलिंग के दौरान हुआ। दोनों की शादी नवंबर 2015 में हुई थी। अब उनका 15 माह का एक बेटा भी हो गया है।
मामले में पत्नी ने कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दिया है। पत्नी ने काउंसलर को बताया कि उसे कई बार शक होता था कि पति की जिंदगी में कोई और है, लेकिन वह पारिवारिक माहौल को खराब करना नहीं चाहती थी। जब पति ने बातों-बातों में अपने दिल का हाल कह सुनाया तो पत्नी को नागवार गुजरा। इसके बाद घर में पत्नी मायके चली गई। उसने बताया कि पति का एक फेसबुक फ्रेंड के साथ संबंध है और वह उससे मिलने टूर के बहाने जाता रहता है।
पत्नी के जॉब करने पर भी पति को परेशानी:-
पत्नी ने काउंसलर को बताया कि दिन भर घर में घुटते रहने के कारण उसने टीचर की जॉब करना शुरू किया। इस बात पर भी पति के साथ-साथ ससुराल वालों के बीच विवाद और भी बढ़ गया। उसे कहा जाने लगा कि घर से बाहर निकलने का उसे बहाना चाहिए। पत्नी ने यह भी बताया कि बेटे के जन्म के बाद पति उसे और बेटे को देखने के लिए मात्र कुछ घंटों के लिए आए। 15 माह से पति ने न तो बेटे की देखभाल की चिंता की और न ही किसी तरह का खर्चा दिया।
फेसबुक से हुई दोस्ती:-
पति ने काउंसिलिंग में बताया कि पत्नी को जैसे ही फेसबुक से हुई दोस्ती के बारे में बताया तो घर में बवाल मच गया। वह प्रेगनेंसी के दौरान ही मायके चली गई। उसने बताया कि फेसबुक से इस पंजाबी महिला मित्र से उसकी दोस्ती सोशल मीडिया से हुई थी और बाद में फोन पर बातचीत होते-होते मिलने लगे। पति ने कहा कि दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता नहीं चला, लेकिन मैं पत्नी को रखना चाहता हूं।
पति तलाक देना नहीं चाहता है, बल्कि वह पत्नी को साथ रखने को तैयार है, लेकिन पत्नी अलग होना चाहती है। पति ने पत्नी को भरण-पोषण देने की बात भी कही है। उसने स्वीकार किया कि 15 माह तक बच्चे की कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई। दोनों पक्षों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।
-शैल अवस्थी, काउंसलर, कुटुंब न्यायालय-