बैतूल/भोपाल/ मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत योजना में बड़ा घोटाला हुआ है। तस्वीरों और पेपर पर तो 4.5 लाख शौचालय दिख रहे हैं। लेकिन स्पॉट पर जाने पर एक भी नहीं दिखा है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह वहां से पलायन कर गए या फिर कोई बड़ा घोटाला हुआ है। इसे बनाने में 540 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इन सभी जीपीएस टैग फोटो भी थे, मगर मौके पर कहीं दिखा नहीं।
जांच में यह बात सामने आई है कि जिन जगहों पर टॉयलेट निर्माण की बात कहीं जा रही है, वहां एक भी टॉयलेट नहीं मिले हैं। हालांकि प्रशासन के पास सभी टॉयलेट्स की जीपीएस-टैग की गई तस्वीरें हैं। पूरे खुलासे के बाद सरकार उन पर खर्च किए गए पैसे वसूलने की तैयारी कर रही है। दरअसल, यह घोटाला 2017 गुना में हुए शौचालय के दरवाजे के घोटाले की याद दिला रही है। जहां 42,000 शौचालयों में दस किलो से भी कम वजन का दरवाजा लगवाया गया था। जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ था।
2012-2018 के बीच हुआ घोटाला:-
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की जांच में यह बात सामने आई है कि इन शौचालयों का निर्माण 2012-2018 के बीच हुआ है। अधिकारियों ने माना है कि विभाग को जो तस्वीर भेजे गए थे, वह कहीं और खींचे गए थे। क्योंकि शौचालय के निर्माण के बाद विभाग को सबूत के तौर पर तस्वीर पेश करनी होती है। तस्वीर पेश कर अधिकारी और ठेकेदार निर्माण के पैसे निकाल लिए।
ऐसे हुआ खुलासा:-
इसका खुलासा तब हुआ जब बैतूल के लक्कजाम पंचायत के ग्रामीणों ने अधिकारियों के पास जाकर शिकायत की। चार लाभार्थियों चैतराम, राम किशोर, कंसराज और शंभुदयाल को पता ही नहीं था कि उनके नाम पर शौचालय का निर्माण हुआ है। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में वह शौचालय योजना के लाभार्थी हैं। यह नहीं शौचालय के साथ लभार्थियों की तस्वीर भी थी। इनकी शिकायत पर जांच शुरू हुई तो पता चला कि ये तस्वीर पड़ोसी के घर की है।
आरोपी से होगी वसूली:-
वहीं, जब लक्कड़जाम पंचायत में विस्तार से जांच की गई तो सभी शिकायत सही मिले। बैतूल पंचायत के सीईओ एमएल त्यागी ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा कि जिस आरोपी ने गड़बड़ी की है, उससे सात लाख रुपये की वसूली की जाएगी। उसने वसूली के खिलाफ अपील की है, लेकिन जुर्माना बरकरार रखा गया है। एक बार वसूली होने के बाद, हम आईपीसी के तहत कार्रवाई करेंगे।
540 करोड़ रुपये का टॉयलेट गायब:-
इस रिपोर्ट के बाद विभाग अलर्ट हो गया। उसके बाद पंचायत और ग्रामीण विभाग ने पूरे राज्य में 4.5 लाख पेपर टॉयलेट की पहचान की। जिनका निर्माण सिर्फ कागजों पर हुआ है। अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा कि एक तरीके से 540 करोड़ रुपये के शौचालय गायब हैं।
मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के उपनिदेशक अजीत तिवारी ने कहा कि 2012 में प्रदेश में एक सर्वेक्षण किया गया था और राज्य में बिना शौचालय के 62 लाख से अधिक गरीबी रेखा वाले घरों की पहचान की गई थी। 2 अक्टूबर 2018 को, इन सभी शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया था। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए शौचालय वास्तव में मौजूद हैं और 100 फीसदी पूर्ण हैं, हमने 21,000 स्वंयसेवकों का उपयोग करके एक सर्वेक्षण और भौतिक सत्यापन किया। इस सर्वेक्षण के दौरान, लगभग 4.5 लाख शौचालय गायब पाए गए।
दूसरी जांच भी जारी:-
उन्होंने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट के बाद अब दूसरी जांच भी जिला स्तर के अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि यह कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा। फिर हमारे पास स्वच्छ मिशन शौचालयों की संख्या का एक स्पष्ट चित्र होगा। हमारा मुख्य उदेश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा निर्मित शौचालय या संपत्ति वास्तव में मौजूद है कि नहीं। साथ ही अजीत तिवारी ने यह भी कहा कि लभार्थियों का डेटा पब्लिक डोमेन में डाला जाएगा ताकि लाभार्थी यह पता कर सकें कि इसमें कोई विसंगतियां हैं या नहीं।
ये है पेमेंट की प्रक्रिया:-
मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के उपनिदेशक अजीत तिवारी ने बताया कि शौचालय निर्माण में भुगतान करने की दो प्रक्रियाएं थीं। पंचायतों को घरों में शौचालय निर्माण पूरा करने पर पैसा दिया जाता था या फिर सरकार सीधे लाभार्थियों के खाते में शौचालय बनने के बाद सीधे 12,000 रुपये ट्रांसफर कर देती है। दोनों मामलों में यह स्पष्ट है कि पैसा कहां गया। इसलिए लापता शौचालयों के लिए जिम्मेदार लोगों को उन्हें वास्तविक निर्माण करना होगा, या फिर उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा एकमात्र उदेश्य यह है कि 2012 में पहचाने गए लक्ष्य को 100 फीसदी पूरा करना है।
वहीं, जब तिवारी से पूछा गया कि घोटालेबाजों ने तकनीक को कैसे हरा दिया। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि जीपीएस लगभग छह मीटर तक ही सटीक है। ऐसा संभव है कि 2012 से पहले निर्मित शौचालयों के नाम पर छह मीटर के भीतर शौचालयों के चित्र अपलोड किए गए थे। दूसरी जांच पूरी होने के बाद चीजें अधिक स्पष्ट होंगी।
कांग्रेस ने साधा निशाना:-
यह घोटाला बीजेपी के शासनकाल में हुआ है। इसलिए कांग्रेस ने हमला किया है। मंत्री जयवर्धन सिंह ने लिखा कि जबरजस्त सफ़ाई!!! 540 करोड़ रुपए की लागत के 4.5 लाख टॉयलेट सिर्फ कागजों पर मिले ज़मीन पर उनका कोई नामों निशाना नहीं। माननीय प्रधानमंत्री जी! इस जबरजस्त सफ़ाई के लिए आप शिवराज सिंह जी को स्वच्छ्ता अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बना सकते हैं...
वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने कहा कि विकास और रोज़गार को ग़ायब करने के पश्चात अब 4.5 लाख शौचालय भी ग़ायब। ढूँढो रे ढूँढो, जनता के 540 करोड़ ढूँढो।