नई दिल्ली. बजट में टैक्स को लेकर कई फैसले हुए हैं. जिनका आम लोगों पर सीधा असर हो रहा है. ऐसा ही एक फैसला डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को लेकर हुआ है. सरकार ने कंपनियों पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) हटाने का प्रस्ताव किया है. नए फैसले के तहत अब डिविडेंड पर टैक्स निवेशक चुकाएगा. इसीलिए एक्सपर्ट्स का मानना हैं कि प्रमोटर्स की बड़ी हिस्सेदारी वाली कंपनियां अप्रैल से पहले मोटे डिविडेंड का ऐलान कर सकती हैं. अब डिविडेंड पाने वाले व्यक्ति को इस पर टैक्स चुकाना होगा. इसे उसकी आय का हिस्सा माना जाएगा. ऐसे में कई लोगों को पहले से अधिक टैक्स चुकाना पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नए बजट का प्रस्ताव लागू होने से पहले कई बड़ी डिविडेंड ऐलान कर सकती हैं. ऐसे में निवेशक बड़े डिविडेंड के साथ-साथ शेयर्स में अच्छे रिटर्न का भी फायदा उठा सकते हैं. आपको बता दें कि 1 अप्रैल से बजट प्रस्ताव लागू होंगे.
ऐसा पहले भी हो चुका हैं:-
आपको बता दें कि आयकर अधिनियम के संसोधित सेक्शन 80एम के तहत, डिविडेंड देने वाली कंपनी प्राप्त किए गए या वितरित किए गए डिविडेंड, जो भी कम हो, पर छूट ले सकती है. बजट 2007-08 पेश होने के बाद मार्च 2007 में कंपनियों के बीच डिविडेंड बांटने की होड़ लग गई थी. तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंमबरम ने डीडीटी को 12.5 फीसदी से 15 फीसदी तक बढ़ा दिया था. तक बीएसई और एनएसई पर सूचीबद्ध 300 कंपनियों ने डिविडेंड वितरित करने का ऐलान किया था.
क्यों करना चाहिए निवेश:-
ऐसे में अगर आप भी बेहतर डिविडेंड यील्ड वाले शेयरों में पैसा लगाकर कमाई करना चाहते हैं तो आपके पास बड़ा मौका हैं. निवेशकों को अच्छे पोर्टफोलियो के लिए हाई डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स पर दांव लगाना चाहिए, क्योंकिं निवेशकों के पोर्टफोलियों में ये शेयर दो तरीके से फायदा करते है. एक तो कंपनियों के फंडामेंटल अच्छे होते है, जो कि हमेशा अच्छा रिटर्न देते ही है. साथ ही बेहतर डिविडेंड के साथ पोर्टफोलियों के मुनाफे को और बढ़ा देते है. जानकार मानते हैं कि निवेशकों को इन शेयरों में लंबी अवधि के लिए निवेश जरूर करना चाहिए.
55 दिन के बाद क्या बदलेगा:-
1 अप्रैल से बजट प्रस्ताव लागू होने के बाद टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी. डिविडेंड से अपनी कमाई का करीब 43 फीसदी पैसा टैक्स के रूप में चुकाना होगा.अभी घरेलू कंपनियों से मिलने वाले 10 लाख रुपये तक के डिविडेंड पर निवेशकों को कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है. 10 लाख रुपये के बाद उन्हें 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है. डीडीटी खत्म होने के बाद, निवेशकों को अपने टैक्स स्लैब के आधार पर ही टैक्स चुकाना होगा.
आपको बता दें कि मौजूदा समय में कंपनियों को शेयरधारकों को दिए जाने वाले डिविडेंड भुगतान पर 15 फीसदी की दर से डीडीटी चुकाना होता है. इसके अलावा इस पर सरचार्ज और सेस लगता है. यह कंपनी द्वारा लाभ पर दिए गए टैक्स के अतिरिक्त होता है.
एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल का कहना हैं कि अधिक प्रमोटर हिस्सेदारी वाली कंपनियों की तरफ से मार्च में डिविडेंड ते ऐलान हो सकते हैं. ऐसे में निकट भविष्य में अधिक नकद रखने वाली कंपनियों में दिलचस्पी बढ़ सकती है.
उन्होंने बताया कि निजी इकाइयों को वित्त वर्ष 2018-19 में 1,800 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला था. वेदांता के अनिल अग्रवाल ने पिछले साल 3,500 करोड़ रुपये के डिविडेंड हासिल किया था. हीरो मोटकॉर्प ने मुंजला परिवार को 600 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था.
ये गणना वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कंपनियों के डिविडेंड और प्रमोटर्स हिस्सेदारी के आधार पर की गई है. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि कुछ कंपनियां होल्डिंक कंपनियों के स्वामित्व वाली हैं और उन्हें टैक्स सिर्फ तभी देना होगा, अगर होल्डिंग कंपनी डिविडेंड नहीं देती.
डिविडेंड यील्ड क्या है:-
डिविडेंड यील्ड का मतलब है कि कोई शेयर 100 रुपए पर ट्रेड कर रहा है और
कंपनी ने 6 रुपए के डिविडेंड की घोषणा की है तो उसकी डिविडेंड यील्ड 6 फीसदी है. किसी स्टॉक पर डिविडेंड यील्ड जितनी ज्यादा होगी, वह स्टॉक उतना बेहतर होगा. डिविडेंड टैक्स फ्री कैश पेआउट्स होते हैं. अगर कोई कंपनी लगातार डिविडेंड का भुगतान करती है तो इसका मतलब है कि उसका बिजनेस पर्याप्त कैश जेनरेट कर रहा है.
डिविडेंड देने वाली टॉप कंपनियां:-
शेयर बाजार में लिस्टेड कई कंपनियां हैं जो निवेशकों को ज्यादा डिविडेंड देंती हैं. इन कंपनियों में
कोल इंडिया, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, ऑयल इंडिया, एनएमडीसी, आरईसी, ओएनजीसी, मोईल, टीसीएस, आरआईएल शामिल हैं. इन कंपनियों के शेयरों में निवेश कर आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
