Breaking

Tuesday, February 4, 2020

क्या इन दो सीटों से तय होगा एमपी में स्थिर सरकार या सियासी उलटफेर..?

भोपाल. मध्यप्रदेश में किसी भी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है। जबकि हाल ही में मध्यप्रदेश के दो विधायकों को निधन हो गया है। इन दोनों ही सीटों में उपचुनाव होने हैं। इस उपचुनाव के परिणाम मध्यप्रदेश की राजनीतिक स्थिति बदल सकते हैं।
क्या असर पड़ेगा:-
अगर इन दोनों सीटों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आते हैं तो सरकार अकेले अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी अगर परिणाम भाजपा के पक्ष में आते हैं तो कमलनाथ सरकार के लिए मुश्किलें हो सकती हैं और मध्यप्रदेश में एक बार फिर से भाजपा मजबूत स्थिति में आ सकती है।
भाजपा विधायक का निधन:-
हाल ही में आगर-मालवा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल का निधन हो गया है। मनोहर ऊंटवाल का 30 जनवरी को निधन हो गया था। मनोहर ऊंटवाल, भाजपा के सीनियर लीडर थे और आगर-मालवा में बड़ा आदिवासी चेहरा थे। वे शिवराज सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके थे। मनोहर ऊंटवाल के निधन के बाद भाजपा विधायकों की संख्या कम हुई है। विधायक के निधन के बाद अब इस सीट पर उपचुनाव होना है।
कांग्रेस विधायक का भी निधन:-
मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का लंबी बीमारी के कारण 21 दिसंबर को निधन हो गया था। बनवारी लाल शर्मा ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के विधायक थे। बनवारी लाल शर्मा के निधन से प्रदेश में कांग्रेस की सीटें कम हो गई हैं। झाबुआ उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पूर्ण बहुमत में आ गई थी लेकिन अब बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की 114 सीटें हो गई हैं। और कांग्रेस अभी भी पूर्ण बहुमत के आंकड़े से 2 सीट दूर है।
क्या है विधानसभा की स्थिति:-
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। जबकि 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी। झाबुआ विधायक जीएस डामोर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सांसद बन गए थे और उन्होंने झाबुआ सीट छोड़ दी थी। झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी जिसके बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 115 हो गई थी। जबकि भाजपा की सीट 108 रह गई। मौजूदा समय में भाजपा के पास 108, कांग्रेस के पास 114 सीटें हैं जबकि दो सीटें खाली हैं।