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Thursday, February 13, 2020

बेटा दिल्ली में दूसरी बार बना विधायक, पिता आज भी भोपाल में बना रहे गाड़ियों के पंचर

भोपाल। राजनीतिक दलों के नेताओं के जहां एक बार विधायक बनते ही उनका पूरा कुनबा करोड़पति बन जाता है, वहीं आम आदमी पार्टी से दूसरी बार विधायक का चुनाव जीतने वाले प्रवीण कुमार के पिता पीएन देशमुख अब भी भोपाल में पंचर बनाते हैं।
बेटे की पांच साल की विधायकी के बावजूद देशमुख के परिवार पर कोई असर नहीं पड़ा, पूरे पांच साल वे पहले की तरह पंचर बनाते रहे। मतदान के दिन भी पिता भोपाल के पुल बोगदा में अपनी पुरानी छोटी सी दुकान में पंचर बना रहे थे। मतदान के बाद बेटे के पास दिल्ली पहुंचे।
यूं बदली प्रवीण की किस्मत:-
दरअसल, प्रवीण भोपाल में ही पढ़े-बढ़े। फिर दिल्ली में नौकरी करने गए। वहां पर छोटी नौकरी की, लेकिन फिर अन्ना आंदोलन में शामिल हो गए। इसके बाद जब आम आदमी पार्टी दिल्ली में चुनाव लड़ी, तो उन्होंने जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ा।
आम आदमी वाली पार्टी लाइन को सही साबित करते हुए प्रवीण को तब अरविंद केजरीवाल ने मौका दिया था। इसीलिए पंचर बनाने वाले देशमुख का बेटा प्रवीण दिल्ली विधानसभा में पहुंचा। खासियत यह रही कि विधायक बनने के बावजूद प्रवीण ने पार्टी-लाइन नहीं छोड़ी।
पांच साल विधायक रहने के बावजूद न तो प्रवीण के रहन-सहन में खास अंतर आया और न उनके परिवार में। उनका परिवार पहले की तरह पंचर की दुकान से ही गुजर-बसर करता रहा। पिता पहले की तरह पंचर बनाकर रोजी-रोटी कमाते रहे।
पिता ने भी दी मिसाल, बोले- मंत्री बने तो भी पंचर बनाना मेरा काम:-
प्रवीण के पिता पीएन देशमुख ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि मेरे बेटा अपना काम कर रहा है और मैं अपना काम कर रहा हूं। वह मंत्री भी बन जाता है, तो उससे मेरे काम पर फर्क नहीं पड़ेगा। पंचर बनाना मेरा काम है और उससे गुजर-बसर करता रहूंगा। आम आदमी पार्टी का यही सिद्धांत है और इसीलिए उसे दिल्ली में दोबारा सफलता मिली है।
प्रवीण ने कहा- जनता का असली दर्द जानता हूं:-
मेरे पिता से ही मुझे प्रेरणा मिली है। उन्होंने हमेशा सादगी और सम्मान से जीवन जिया है। पिछले पांच साल में जंगपुरा क्षेत्र के लिए काफी काम किया। वहां की तस्वीर बदली है। मैं जिस परिवार से आया हूं, वहां मैंने आर्थिक संकट का दर्द देखा है। इसलिए जनता के इस दर्द को समझता हूं। इसलिए काम पर भरोसा करता हूं, यही कारण है कि धर्म के नाम पर नहीं, जनता ने काम के नाम पर वोट दिया है।