नई दिल्ली। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायपुर के डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगनी चाहिए क्योंकि ऐसे उपकरण वायरस के वाहक हो सकते हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित कर सकते हैं। बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख में एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट उच्च जोखिम वाली सतह होती है जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है, भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों।
15 मिनट से दो घंटे तक मोबाइल का इस्तेमाल:-
उन्होंने यह भी कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक, कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे के बीच अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) जैसे विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों की तरफ से कई महत्वपूर्ण दिशानिर्देश हैं जिनमें बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय निहित हैं। जर्नल में प्रकाशित इस लेख में यह बात रेखांकित करते हुए कहा गया है कि इन दिशानिर्देशों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल का कोई जिक्र या उल्लेख नहीं है, डब्ल्यूएचओ के संक्रमण नियंत्रण एवं रोकथाम दिशानिर्देश में भी नहीं जिसमें हाथ धोने की अनुशंसा की गई है।
मोबाइल से संक्रमण का ज्यादा खतरा:-
दस्तावेज में कहा गया कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में फोन का इस्तेमाल अन्य कर्मियों से संपर्क और संवाद के लिए, हालिया चिकित्सा दिशानिर्देशों, दवाओं के शोधों, दवाओं के दुष्प्रभावों और विपरीत परिस्थितियों, टेलीमेडिसिन अप्वाइंटमेंट और मरीजों के पूर्व इतिहास पर नजर रखने के लिये किया जाता है। यह लेख समुदाय एवं परिवार चिकित्सा विभाग के डॉ. विनीत कुमार पाठक, डॉ. सुनील कुमार पाणिग्रही, डॉ. एम मोहन कुमार, डॉ. उत्सव राज और डॉ. करपागा प्रिया पी ने लिखा है। उनके मुताबिक, स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में चेहरे, नाक और आंखों के सीधे संपर्क में आने की वजह से मोबाइल फोन शायद मास्क, कैप और चश्मों के बाद दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि अन्य तीन की तरह मोबाइल को धोया नहीं जा सकता इसलिये उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। मोबाइल फोन की वजह से हाथों के साफ होने के भी बहुत मायने नहीं रह जाते। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मोबाइल रोगजनक विषाणुओं के लिए संभावित वाहक हैं।
10 फीसदी ही करते हैं मोबाइल साफ:-
यह लेख 22 अप्रैल को प्रकाशित हुआ था। इसमें कहा गया कि अस्पतालों में मोबाइल फोन का स्वच्छता के साथ उचित इस्तेमाल समय की मांग हैं। भारत में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च विशिष्टता वाले अस्पतालों में लगभग 100 फीसद स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनमें से 10 फीसद ही कभी अपने मोबाइल को साफ करते हैं। डॉ. पाठक ने कहा कि सबसे सुरक्षित तरीका यह मानकर चलना है कि आपका फोन आपके हाथ का ही विस्तार है, इसलिये याद रखिए कि आपके फोन में जो है वह आपके हाथ पर हस्तांतरित हो रहा है।
सबसे ज्यादा स्पर्श वाली सतहों में से एक:-
इस महामारी के बीच दो सबसे बड़ी मोबाइल फोन कंपनियों ने उपभोक्ताओं की मदद के लिये दिशानिर्देश अपलोड किये हैं जिसमें कहा गया है कि 70 प्रतिशत आइसोप्रोपिल अल्कोहल या क्लोरोक्स विसंक्रामक वाइप्स का इस्तेमाल फोन को स्विच ऑफ कर उसकी बाहरी सतह को हल्के हाथ से साफ करने के लिए किया जा सकता है। सीडीसी के मुताबिक मोबाइल फोन, काउंटर, टेबल के ऊपरी हिस्से, दरवाजों की कुंडियां, शौचालय के नल, की-बोर्ड, टेबलेट्स आदि के साथ सबसे ज्यादा स्पर्श की जाने वाली सतहों में से हैं। डॉक्टरों ने आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के साथ ही बात करते वक्त इसके चेहरे पर सीधे स्पर्श से बचने के लिये हेडफोन के इस्तेमाल की सलाह दी है।
उनका कहना है कि मोबाइल फोन, हेडफोन या हेडसेट्स को किसी के साथ साझा न करें। जहां संभव हो वहां इंटरकॉम सुविधा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। एम्स, नई दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन (आरडीए) के महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार टी ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के बाहर भी लोगों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे इसे सभी जगहों पर लेकर जाते हैं।