भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण को हराना भाजपा सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश संगठन सक्रिय हो गया है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद भाजपा और कांग्रेस को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के हाथों से जहां मध्यप्रदेश की सत्ता फिसल गई वहीं, भाजपा को सिंधिया खेमे के नेताओं को पार्टी में एडजस्ट करना मुश्किल हो रहा है। सिंधिया खेमे के 22 नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी में गुटबाजी का डर था ऐसे में भाजपा संगठन अपने और सिंधिया खेमे के नेताओं को एडजस्ट करने में जुट गया है।
सिलावट के लिए साफ किया रास्ता:-
शनिवार रात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 24 जिला अध्यक्षों की घोषणा की। वीडी शर्मा ने अपनी टीम के चयन में युवा चेहरों को जगह दी है तो इसके साथ ही इस बात पर भी फोकस किया है कि सिंधिया खेमे के नेताओं के कारण पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी न हो। भाजपा ने सबसे बड़ा दांव इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा को लेकर चला है।
सांवेर विधानसभा इस समय रिक्त है। यहां से विधायकर रहे तुलसी सिवालट कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद सांवेर विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक और तुलसी सिलावट के राजनीतिक विरोधी राजेश सोनकर अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर संशय में थे। क्योंकि सिलावट के भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि पार्टी इन सभी 22 नेताओं को टिकट देगी। ऐसे में सांवेर विधानसभा में गुटबाजी का डर था।
भाजपा जिलाध्यक्ष पर पर सांवेर के पूर्व विधायक राजेश सोनकार की नियुक्ति की गई है। राजेश सोनकार को इंदौर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति के साथ ही क्षेत्र में नई राजनीति देखने को मिलेगी। सिलावट बनाम सोनकर का समीकरण अब सिवालट संग सोनकर हो गया है। राजेश सोनकर को जिला अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने तुलसी सिलावट की राह आसान करने की कोशिश की है।
एक दूसरे को दे चुके हैं मात:-
सांवेर विधानसभा क्षेत्र में राजेश सोनकर और तुसली सिलावट राजनीतिक विरोधी थे लेकिन अब दोनों एक ही पार्टी में हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में राजेश सोनकर ने तुलसी सिवालट को चुनाव हराया था। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में तुलसी सिलावट ने राजेश सोनकर को करीब 3 हजार मतों से चुनाव हराया था। यही वजह है कि पार्टी ने राजेश सोनकर को जिला अध्यक्ष नियुक्त कर सोनकर के समर्थकों को राहत दी है और आगामी उपचुनाव को साधने की कोशिश की है।
जिताने की जिम्मेदारी:-
राजेश सोनकर के जिला अध्यक्ष बनने से पार्टी में गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही तुसली सिलावट को जिताने की जिम्मेदारी अब राजेश सोनकर की होगी।
सिंधिया के करीबी हैं सिवालट:-
तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे भरोसेमंद और करीबी नेता हैं। तुलसी सिलावट कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे और अभी शिवराज सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं।