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Sunday, July 29, 2018

ग्वालियर जेल में छटपटा रहा दरिंदा; फांसी के डर से नींद उड़ी, भूख खत्म, पूछता रहा- क्या सच में मुझे फांसी होगी

ग्वालियर.छह साल की बच्ची को अगवा कर दरिंदगी करने वाला जितेन्द्र कुशवाह फांसी की सजा मिलने के बाद से बेचैन है। जेल मेें बंद जितेंद्र वीडियो काॅन्फ्रेंस के जरिए फैसला सुनने के बाद जब अपनी बैरक में पहुंचा तो रोने लगा। बैरक में ही उसे खाना दिया गया। पहले तो वह इनकार करता रहा, लेकिन बाद में उसने खाना खा लिया। रात करीब 12 बजे तक जागता रहा। कभी टहलता तो कभी सिर पकड़कर बैठ जाता। इसके बाद वह सो गया। सेल में तैनात प्रहरी से उसने बार-बार पूछा कि मेरे पास कितना समय और है, अब मेरे साथ क्या होगा? जितेंद्र को केन्द्रीय जेल स्थित त्रिवेणी सेल की कोठी नंबर-1 की बैरक में रखा गया है। शनिवार सुबह करीब 5 बजे जागे जितेंद्र को 7.30 बजे चाय और दलिया दिया गया। लेकिन उसने नाश्ता नहीं किया। सुबह फिर उसने प्रहरी से सवाल किया- क्या सच में मुझे फांसी हो जाएगी। प्रहरी ने जवाब नहीं दिया। दोपहर 11 बजे उसे खाना दिया गया, जो उसने आधा छोड़ दिया।
रोज होगा स्वास्थ्य परीक्षण-
शनिवार सुबह जेल के डॉक्टरों ने जितेंद्र का स्वास्थ्य परीक्षण किया। नियमानुसार उसका रोज स्वास्थ्य परीक्षण होगा। शनिवार को उसने सिरदर्द होने की शिकायत डॉक्टर से की थी। इस पर दवा दी गई।
जितेंद्र से श्रम कराने से बच रहा जेल प्रशासन-
दुष्कर्मी जितेन्द्र उर्फ जीतू कुशवाह को धारा 376 ए,बी में मृत्युदंड, धारा 302 में मृत्युदंड, धारा 363 में 7 साल का सश्रम कारावास, धारा 366 में 10 साल का सश्रम कारावास, धारा 201 में 7 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। लेकिन जेल प्रशासन उससे काम लेने से बच रहा है। उसे विशेष सुरक्षा में रखा जा रहा है। उससे कौन सा काम लिया जाए, अभी तय नहीं हो सका है। क्योंकि अगर उसे जेल में खुला छोड़ा जाएगा तो हमला होने की आशंका है।
पॉस्को अधिनियम के तहत भी दोषी करार
अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी अनिल मिश्रा ने बताया कि विशेष न्यायाधीश अर्चना सिंह ने छह वर्षीय एक मासूम के साथ बलात्कार और उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी युवक जितेन्द्र कुशवाह (25) को दंड प्रक्रिया संहिता अध्यादेश 2018 एवं भादंवि की धारा 376 (बी) (बलात्कार) और धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी करार देते हुए मृत्युदंड (फांसी) की सजा से दंडित किया है।मिश्रा ने बताया कि युवक को भादंवि की धारा 366 (अपहरण) धारा 201 (अपराध के साक्ष्य विलोपित करना) और पॉस्को अधिनियम के तहत भी दोषी करार दिया गया है।