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Wednesday, October 17, 2018

RSS आया चुनाव मैदान में, क्या ये एंटी इन्कमबेंसी का डर है जो संघ को आना पड़ा चुनाव मैदान में....?

भोपाल। मध्यप्रदेश के चुनाव में ये पहली बार हो रहा है कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन का आवरण रखने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सीधे चुनाव मैदान में उतर रहा है. 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा की एंटी इनकम्बेंसी के डर को देखते हुए संघ को चुनावी प्रक्रिया में सीधे हस्तक्षेप करना पड़ रहा है. संघ इस चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे के साथ उतरेगा. और इस बार मुद्दा होगा मिशन 2021 यानि 2021 की जनगणना. हिंदुओं के अनुपात और जनसंख्या को लक्ष्य रखकर हिंदुओं का एकत्रीकरण. इसका लाभ भाजपा के वोट बैंक पर होगा.
संघ नेता ले रहे बैठक-
प्रदेश में अभी तक संघ अदृश्य रह कर चुनाव में भाजपा को सहयोग करता था. लेकिन इस बार संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते, संभाग स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों की परिचय बैठक ले रहे हैं. इसमें बताया जा रहा है कि अब हर विधानसभा क्षेत्र में संघ के दो पूर्णकालिक प्रचारक भाजपा के साथ-साथ मैदान में रहेंगे. उन्हें प्रभारी और सहप्रभारी बनाया गया है. यह संघ का मिशन 2021 है यानि जनगणना 2021 का लक्ष्य. इसमें हिंदुओं की संख्या के अनुपात को बेहतर बनाना है. ये तभी संभव है जब केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार हो.
सहस्त्रबुद्धे को निर्देश-
भाजपा के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की दो दिनी भोपाल यात्रा के बाद चुनावी रणनीति में व्यापक बदलाव का दौर शुरू हो गया है. भाजपा कोर ग्रुप की मीटिंग में चुनावी तैयारी की समीक्षा में अमित शाह संतुष्ट नहीं थे. इस बैठक में उन्होंने मध्यप्रदेश के भाजपा प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे से कहा गया था कि वे अब पूरी तरह प्रदेश में रहकर चुनाव की मॉनिटरिंग करें. आईसीसीआर दिल्ली का अध्यक्ष बनने के बाद सहस्त्रबुद्धे प्रदेश से दूर हो गए थे. इसी तरह चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को भी पूरी तरह मैदानी तैयारी में जुटने के लिए कहा है.
समिधा में बैठक-
इस बैठक के बाद शाह संघ कार्यालय समिधा पहुंचे थे. जहां उन्होंने संघ पदाधिकारियों के साथ फीडबैक लिया था. इसमें तय किया गया था कि संघ की एक समानांतर फोर्स सीधे चुनाव में भाजपा की कमियों को पूरा करेगी. संघ के प्रचार प्रमुख अ.भा. सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन, क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते ने नई रणनीति के तहत भोपाल, इंदौर, उज्जैन संभाग के भाजपा पदाधिकारियों की दो दिन पहले बैठक ली. उसमें चुनावी प्रबंधन को लेकर संघ की भूमिका का खुलासा किया गया.
संघ का दावा-
भाजपा पदाधिकारियों को बताया गया कि इस बार के चुनावी वातावरण में विघटनकारी ताकतों का गठजोड़ हो गया है. ये देश को कई हिस्सों में बांटने की साज़िश है. इसलिए संघ को विचारधारा और राष्ट्र निर्माण के लिए बड़ा काम करना है. बैठक में नाम लेकर बताया गया कि कौन-सा राजनीतिक दल धर्म निरपेक्षता की आड़ में अपना खेल कर रहा है. किस तरह का गठजोड़ हो रहा है. एक सत्ता में काबिज होता है और दूसरा विदेशी फंडिंग से देश की संस्कृति, कला, मीडिया संस्थान और बौद्धिक जमात में अपनी दख़ल बढ़ाता है. यह लंबे समय से चल रहा है. बौद्धिक जमात में पुरस्कार वापसी जैसा माहौल ये ही लोग बनाते हैं. इससे हिंदू समाज का नुकसान हुआ है.
गोंड आदिवासी मुद्दा-
इस बैठक में भाजपा पदाधिकारियों को बताया गया कि राजनीति का उद्देश्य तत्कालिक लाभ नहीं होना चाहिए. चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है. इसका मक़सद और वोट का सही उपयोग लोगों को समझाना होगा. उनका वोट सही व्यक्ति सही राजनीतिक दल तक पहुंचे इसकी जवाबदारी लेनी होगी. लोगों को संभावित ख़तरों से भी आगाह करना होगा. बैठक में आदिवासी गोंड जाति को लेकर भी विशेष उल्लेख किया गया. हिंदुओं से स्वयं को अलग मानने वाली यह जनजाति रावण को पूजती है. इनकी 60 प्रतिशत आबादी सिर्फ मध्यप्रदेश में है. बताया गया कि आबादी बहुत कम थी लेकिन अब 2021 तक यह 90 लाख तक पहुंचने वाली है. यह सब साज़िश के तहत हो रहा है.
रोहिंग्या शरणार्थी-
इस बैठक में एक मुद्दा बांग्लादेशी रोहिंग्या मुस्लिम आबादी का भी था. बताया गया कि देश की सुरक्षा के लिए आज तक ऐसा अभियान किसी अन्य राजनीतिक दल ने नहीं चलाया. राष्ट्र की रक्षा और उत्थान के लिए हो रहे इन कामों में संघ साथ है. ऐसे लक्ष्य सत्ता के बिना हासिल नहीं हो सकते. संघ इस चुनाव में जनजागरण अभियान चलाएगा. हर विधान सभा क्षेत्र में संघ के एक प्रभारी और दो सहप्रभारी होंगे. बूथ स्तर पर टोलियां बनाई जाएंगी जो अपना अपना काम करेंगी.
नाराज़गी ख़त्म करेंगे-
भाजपा के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि पिछले एक साल से हर ज़िले में संघ के पूर्णकालिक प्रचारक नियुक्त हुए हैं. भाजपा में भी समयदानी के नाम पर प्रचारकों की तरह ही अपने कार्यकर्ताओं को काम सौंपा गया है.
संघ अब कर रहा प्रभारी नियुक्त-
सहप्रभारी नियुक्त कर रहा है उनका काम संघ के घर- घर होने वाले जनजागरण अभियान को देखना है. विचारधारा के स्तर पर लोगों को एकजुट करना है. समूह में, अलग-अलग वर्ग में संघ अपना काम करेगा. सरकार के प्रति नाराज़गी के भाव को खत्म करना उनका लक्ष्य होगा।