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Saturday, December 29, 2018

समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों का पूरा ब्याज माफ कर सकती है मोदी सरकार

-किसानों को 7% ब्याज दर पर मिलता है 3 से 7 लाख रुपए तक का शॉर्ट टर्म लोन
-समय पर भुगतान करने पर 3% का इन्सेंटिव मिलता है, शेष 4% ब्याज भी माफ करने पर विचार
सरकार खाद्यान्न फसलों के बीमा का प्रीमियम माफ करने का ऐलान भी कर सकती है
-ऐसा हुआ तो फसल बीमा कराने वाले देश के 5 करोड़ किसानों को मिल सकता है फायदा

नई दिल्ली. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की चुनावी हार और आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार उन किसानों का ब्याज माफ कर सकती है जो समय पर कर्ज चुका रहे हैं। इस प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है कि खाद्यान्न फसलों के बीमा का पूरा प्रीमियम माफ कर दिया जाए और बागवानी से जुड़ी फसलों के इंश्योरेंस प्रीमियम में कटौती की जाए। ऐसा हुआ तो फसल बीमा कराने वाले देश के करीब 5 करोड़ किसानों को राहत मिलेगी। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस बात के संकेत दिए कि किसानों के लिए जल्द बड़ा ऐलान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है। ब्याज पर फिलहाल 3% इन्सेंटिव देती है सरकार न्यूज एजेंसी के मुताबिक, छोटी अवधि के लिए किसानों को 3 से 7 लाख रुपए तक का लोन 7% की ब्याज दर पर मिलता है। समय पर भुगतान को बढ़ावा देने के लिए उन्हें 3% इन्सेंटिव दिया जाता है। इस तरह समय पर भुगतान करने वाले किसानों को 4% ब्याज देना होता है। किसानों को ब्याज में छूट देने पर केंद्र सरकार हर साल 15,000 करोड़ रुपए खर्च करती है। अगर पूरी तरह ब्याज माफ किया जाता है तो यह राशि 30,000 करोड़ रुपए हो जाएगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सरकार किसानों से अलग-अलग फसलों के इंश्योरेंस के लिए 1.5 से 5% तक प्रीमियम लेती है। प्रीमियम का बाकी खर्च केंद्र और राज्य सरकारें उठाती हैं। फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में 4.79 करोड़ किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर किए गए। सूत्रों के मुताबिक रबी और खरीफ की फसलों के इंश्योरेंस के लिए किसान सालाना 5,000 करोड़ रुपए का प्रीमियम चुकाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में किसानों को राहत का मुद्दा बेहद अहम होगा। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में हार के बाद केंद्र सरकार एग्रीकल्चर सेक्टर को राहत देने के लिए जोर-शोर से जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में पिछले कुछ दिनों में कई उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की ओर से कर्ज माफी का वादा राज्यों के चुनावों में भाजपा की हार की बड़ी वजह रहा।