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Sunday, October 27, 2019

दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा का ये रहेगा शुभ मुहुर्त, इस तरह करें पूजन चमक उठेगी किस्मत

दीपावली पर रविवार को घर-घर में मां लक्ष्मी की पूजा होगी। शास्त्रों में यह लग्न पूजन के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। दीपावली पूजन शाम 6 बजकर 4 मिनट से लेकर 8 बजकर 36 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। व्यापारियों के लिए 8 बजकर 11 मिनट से करीब दस बजे के बीच लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ है।
मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा चौकी पर लाल वस्त्र के ऊपर रखें। मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ हो। लक्ष्मी की प्रतिमा गणेश के दाहिनी ओर रखें तथा उसके साथ ईशान कोण में कलश स्थापित करें। घी का दीपक कलश के पास और तेल का दीपक गणेश के पास रखें। 
ओम गं गणपताय नम: तथा ओम श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: इन मंत्रों से पूजन करें तथा यथाशक्ति इन मंत्रों का जप करें। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन, कुबेर का भी पूजन किया जाता है। लक्ष्मी को लाल कमल पुष्प विशेष प्रिय है। इस दिन 108 कमलपुष्पों व कमलवीजों से लक्ष्मी के 108 नामों के अर्चन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
यह रहेगा विशेष:- 
दीपावली के दिन घर में पांच दीपक घी और पांच दीपक तेल के जलाकर दीपावली का विशेष पूजन किया जाता है। भागवत प्रवक्ता डॉ. मनोज शैल ने बताया कि रविवार को शाम 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। व्यापारियों के लिए 8 से दस बजे तक पूजा श्रेष्ठ मानी गई है।
दीपावली पर करें मां लक्ष्मी की आराधना:-
वैसे तो दीपावली के पांच दिवस मुख्य हैं, लेकिन सभी बातों के संयोग से दीपावली का पर्व कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, धनतेरस, से नरक चौदश, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज इन पांच दिनों तक देश के कोने-कोने में मनाया जाता है। इसकी जानकारी शारदा निकेतन के हस्तरेखा ज्योतिषार्चाय डा. लेखराज शर्मा ने दी है। कहा कि इस वर्ष दीपावली का ज्योति पर्व 27 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, धनतेरस को यमराज को दीप दान करना चाहिए। 
इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने का भी प्रचलन है। व्यापारी वर्ग बहीखाते की पूजा करते हैं। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली एवं लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान को महालक्ष्मी पूजा कहा जाता है। इस दिन श्री गणेश, सरस्वती और कुबेर आदि की पूजा करनी चाहिए। दीपावली से पूर्व घरों प्रतिष्ठानों की साफ सफाई, रंगाई पुताई, रोशनी और सजावट आदि की जाती है।
घर आंगन में रंगोली बनाई जाती है। शुभ मुहूर्त, गोद्दूली बेला अथवा स्थिर लग्न, प्रदोष काल, में लक्ष्मी पूजा का कार्य प्रारंभ करना चाहिए। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस 27 अक्तूबर रविवार को है। श्री लक्ष्मी पूजा के लिए स्थिर लग्न, प्रदोष काल, निषीथ काल और महानिषीथ काल होना बहुत अच्छा होता है। इसमें जप अनुष्ठान करना श्री लक्ष्मी, महाषक्ति काली उपासना, यंत्र तंत्र तथा तांत्रिक अनुष्ठान एवं साधनाऐं की जाती है।