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Tuesday, October 29, 2019

साल में सिर्फ भाईदूज के दिन खुलते हैं यमराज के इस मंदिर के द्वार, ऐसी है इसकी कहानी:- देखे VIDEO

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में यमराज का मंदिर एक स्थित है। यह छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं भारत का पहला ऐसा यमराज मंदिर है जहां श्रद्घालु साल में केवल एक दिन पूजा-अर्चना करने आते हैं। ...
आनंदराम साहू, रायपुर। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में यमराज का मंदिर एक स्थित है। यह छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं, भारत का पहला ऐसा यमराज मंदिर है जहां श्रद्घालु साल में केवल एक दिन पूजा-अर्चना करने आते हैं। यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन यहां मेला लगता है। इसमें हजारों श्रद्घालु दर्शन करने पहुंचते हैं और भोग-भंडारा में प्रसाद ग्रहण करते हैं। शेष 364 दिन यहां लोग 'मौत के देवता" को दूर से ही प्रणाम करके आगे बढ़ जाते हैं।
मंदिर में प्रवेश कर दर्शन-पूजा करने से घबराते हैं। दो साल पहले बने इस मंदिर के पीछे का राज भी चौंकाने वाला है। एक ग्रामीण भयानक सड़क हादसे में मौत के मुंह में समा गया था। पूरे क्षेत्र में उसके मौत की अफवाह फैल गई। दो महीने बाद वह मौत के मुंह से वापस आया तो इस दुर्घटनाजन्य स्थल पर यमराज का मंदिर बनवाया।
बीते दो वर्षों से यहां यम द्वितीय के दिन मेला लग रहा है और साल में केवल एक दिन ही हजारों श्रद्घालु मृत्यु के देवता यम और यमराज की बहन यमुनादेवी का दर्शन करके यमलोक जाने से मुक्ति की मन्नतें मांगने यहां पहुंचते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि अर्थात भाई दूज (यम द्वितीया) के दिन यम-यमुना का पूजा-अनुष्ठान करने से मनुष्य को जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और यमलोक में यातना झेलने से बच जाते हैं।
इस तरह बना छत्तीसगढ़ का यह यमराज मंदिर:-
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 102 किमी दूर महासमुंद जिला के गांव करमापटपर में स्थित है यमराज का मंदिर। बागबाहरा-पिथौरा रोड पर जंगल के बीच देवस्थल खल्लारी स्थापना के पास निर्जन स्थान में बना यमराज का मंदिर इन दिनों चर्चा में है। इस मंदिर के निर्माण की कहानी दिलचस्प है। जहां पर यमराज का मंदिर बना है, वहां खतरनाक मोड़ है, दुर्घटनाजन्य स्थल के रूप में चिन्हांकित है। यहां अक्सर सड़क हादसा होता था और लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते थे।
ऐसा ही हादसा तेंदूकोना निवासी नंदकुमार सोनी के साथ हुआ। उनकी मोटरसाइकिल एक वाहन से टकरा गई। पलभर के लिए लगा कि मौत हो गई है। पूरे क्षेत्र में नंदकुमार की मौत हो जाने की खबर भी फैल गई थी। जब नंदकुमार को होश आया तो उसने अपने आप को अस्पताल में बिस्तर पर पाया। रायपुर के एक नर्सिंग होम में पूरे दो महीने उपचार कराया। मौत के मुंह से वापस आए नंदकुमार ने संकल्प लिया कि इस दुर्घटनाजन्य स्थल पर मौत के देवता यमराज की मूर्ति स्थापित करेंगे। जब उन्होंने लोगों को बताया तो यमराज की मूर्ति स्थापित करा पाने में पुरोहित और प्रकांड पंडितों ने हाथ खड़ी कर दिया।
यम-यमुना की मूर्ति स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा कराने की शर्त पर एक पुजारी सहमत हुए। अपने संकल्प पर अडिग नंदकुमार और उसकी पत्नी रूखमणी देवी ने स्वयं की मेहनत मजदूरी के धन से मंदिर बनवाया। करीब तीन लाख रुपये से जयपुर (राजस्थान) में यमराज और यमुना की मूर्ति बनाने का आर्डर दिया।
जनसहयोग और स्वयं के धन से मंदिर बनाने की आधारशिला रखी। 2012 में शुरू हुआ मंदिर निर्माण का काम अक्टूबर 2017 में पूर्ण हुआ। 20-21 अक्टूबर को दो दिन तक चले मंत्रोधाार के साथ ही भाई दूज के अवसर पर यम-यमुना की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्घालु पहुंचे थे। इस साल मंदिर स्थापना का तीसरा वर्ष है। इस साल भी 29 अक्टूबर को भाई दूज पर यहां श्रद्घालु बड़ी संख्या में जुटेंगे। और यम-यमुना का दर्शन करेंगे।
देश में कुल आठ यमराज मंदिर:-
धार्मिक आस्था और श्रद्घा के लिए भारत की एक अलग पहचान है। यहां तैंतीस करोड़ देवी-देवता और चौरासी लाख योनि होने की कहानियां पौराणिक कथाओं में मिलती है। इनमें मृत्यु के देवता यमराज का मंदिर बहुत कम ही मिलता है। यमराज मंदिर हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के भरमौर नामक स्थान में स्थित है। इसके अलावा तमिलनाडु प्रांत में तीन, उत्तरप्रदेश में तीन और छत्तीसगढ़ के इस यमराज मंदिर को मिलाकर पूरे भारत में यमराज के आठ मंदिर हैं।
यह हैं भारत के आठ यमराज (धर्मराज) मंदिर, जिस पर है लोगों की आस्था:-
1. यमराज मंदिर भरमौर, चम्बा (हिमाचल प्रदेश)
2. धर्मराज मंदिर विश्रामघाट, मथुरा (उत्तरप्रदेश)
3. धर्मराज मंदिर, ऋषिकेश (उत्तरप्रदेश)
4. श्रीऐमा धर्मराज मंदिर तंजावुर (तमिलनाडु)
5. काशी का धर्मराज मंदिर वाराणसी (उत्तप्रदेश)
6. थिरूप्पाईन्जीलीयम धर्मराज मंदिर त्रिची (तमिलनाडु)
7. श्री चित्रगुप्त और यमराज मंदिर कोयम्बटूर सिंगानल्लुर (तमिलनाडु)
8 यमराज-यमुना मंदिर, करमापटपर- महासमुंद (छत्तीसगढ़)