जबलपुर. दिव्यांगों को लोगों को देखने का एक नजरिया होता है। लोगों का यह सोचना होता है कि वे हमेशा दूसरों पर निर्भर होते हैं, लेकिन इस बात को दिव्यांग विक्रम अग्निहोत्री ने गलत साबित कर दिखाया है। विकलांग सेवा भारती के राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल होने इंदौर से आए विक्रम ने पत्रिका प्लस ने जीवन से जुड़ी कुछ बातों को साझा किया। दिव्यांगों के लिए उन्होंने कहा कि कभी परिस्थितियों से हार नहीं मानना चाहिए। खुद की काबलियत पर भरोसा रखकर हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
7 वर्ष की उम्र में हुई थी दुर्घटना:-
विक्रम ने बताया कि जब वे 7 साल के थे तो एक दुर्घटना में दोनों हाथ जल चुके थे। हादसा इतना बड़ा था की डॉक्टर्स को दोनों हाथों को काटना पड़ा। उस वक्त जीवन ऐसा लगा मानों कठिनाइयों से घिर गया है। इसके बाद विक्रम से अपने कामों को करने के लिए पैरों का उपयोग करना शुरू किया।
ब्रश से लेकर शेविंग तक:-
विक्रम से बताया कि उन्होंने बचपन से ही पैरों से अपना खुद का हर काम करना शुरू कर दिया था। स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने एमए और एलएलबी भी की है। वे पैरों से लिखते भी हैं। यहां तक की दिनचर्या के दूसरे काम जैसे ब्रश करना, शेविंग करना और दूसरी चीजें करते हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस भी हुआ इश्यू:-
उन्होंने बताया कि वे देश के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे भारत सरकार द्वारा पैरों से ड्राइविंग करने के लिए लाइसेंस इश्यू किया गया है। ऑटोमैटिक कार में क्लच न होने के कारण एक पैर स्टेयरिंग में काम आ जाता है। इसके अलावा विक्रम स्वीमिंग भी करते हैं।