मुकेश शर्मा, ग्वालियर
ग्वालियर । ग्वालियर शहर ही नहीं बल्कि समूचे जिले भर में बिजली अफसरों की मनमानी पूरे शबाब पर है क्यों कि पिछली सरकार में अवैध वसूली के जो तरीके बिजली विभाग के अफसरों ने शुरू किए थे वो आज भी जारी है । दीनदयाल नगर ग्वालियर में और उसके आस पास के कई इलाकों में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां बिजली अफसरों ने पक्षपात का रवैया अपनाया है और भाई भतीजावाद अपनाते हुए लाखों रुपए की बकाया राशि के लोगों पर मेहरबानी की गई है और दस बीस हजार रुपए की बकाया राशि वालों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए हैं ।
ज्ञात हो कि पिछली सरकार ने बकाया बिजली बिल वालों के बिल माफ किए, बिजली बिल के बकायेदारों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए गए, बकायादारों का बिल माफ कर मंच पर फूल मालाओं से स्वागत किया गया, बिल माफी में बकाया राशि की कोई सीमा नहीं थी, उद्धोगपतियों के भी लाखों रुपए के बिल माफ किए गए, लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक के बिल माफ किए गए लेकिन ईमानदारी से बिल भुगतान करने वालों को कभी किसी सरकार ने ना तो सम्मानित किया और ना कोई राहत दी गई ऐसा क्यों ? बल्कि आंकलित खपत के नाम पर उनके बिजली बिल बढ़कर आने लगे जो ईमानदारी से बिल भुगतान कर रहे हैं । आज भी हजारों उपभोक्ता बिजली बिल शंसोधन के लिए विभाग में अफसरों के चक्कर लगाते लगाते स्वयं चक्कर खा कर गिर रहे हैं लेकिन विभाग में कोई सुनवाई नहीं हो रही है ।
मध्यप्रदेश शासन के बिजली विभाग की ओर से कुछ रोज पूर्व जारी आदेश अनुसार 100 से 150 यूनिट तक बिजली खपत महज एक रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से की जाएगी उसके बाद नियम अनुसार भुगतान करना पड़ेगा । वाबजूद इसके लोगों के बिल बढ़कर आ रहे हैं । अब उपभोक्ता बिल कैसे भरे ❓
सवाल ये है कि बिजली विभाग के अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए क्या शासन कोई ठोस कदम उठाएगा ? लाखों के बकायादारों आदित्याज होटल, बी पी फूड्स, शक्ति फूड्स, एमपी बिल्डिंग एंड कंट्रक्शन, शिवा कंप्रएस्ड, राधा रानी फूड्स एवम् शारदा पोलीमर्स जैसी कंपनियों जिन पर लाखों का बिजली बिल बकाया है उन पर रहम करते हुए महज दस बीस हजार बकाया वालों के कनेक्शन काटना वो भी बिना नोटिस दिए क्या उन पर ज़ुल्म नहीं है ❓
*अवैध वसूली का नया तरीका ।*
नियमानुसार रीडिंग नोट करने की तारीख तय रहती है लेकिन मीटर रीडर तय तारीख के लगभग पांच दिन बाद आकर रीडिंग नोट करता है, तब तक शासन की योजना 100-150 यूनिट से ज्यादा हो चुकी होती हैं जिसके एवज में उपभोक्ता को पूरा भुगतान करना पड़ता है । जब की मध्यप्रदेश शासन की ये योजना सभी वर्ग के लिए है ।
*दिल्ली में 200 यूनिट बिजली के ज़ीरो बिल सभी वर्ग के लिए ।*
देश की राजधानी दिल्ली में सरकार ने 200 यूनिट बिजली आम नागरिक के लिए मुफ्त की है । जिससे आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, के दौर में हर समाज, वर्ग के लोगों को काफी राहत मिली है तो वहीं दूसरी ओर उत्तरप्रदेश में बढ़ते बिजली दरों और बिलों की वजह से जनता में हाहाकार मचा हुआ है जिसके चलते उत्तरप्रदेश में बड़े पैमाने पर लगभग 13 हजार करोड़ रुपए का बिजली घोटाला उजागर हुआ है । यदि निष्पक्ष जांच हो तो मध्यप्रदेश में भी ऐसा घोटाला उजागर हो सकता है ।
*पूरे मध्यप्रदेश में हुआ बिजली घोटाला ।*
2008 से लेकर जीनियस, वैपकोस, ज्योति इडस, श्याम इंडस, एटूजेड जैसी दर्जनों कंपनियों ने ग्वालियर चंबल संभाग में काम किया जिसमें जीनियस अधूरा काम छोड़ कर निकल गई । कम्पनी पर बकाया लगभग 11 करोड़ रुपए बिजली विभाग का शेष था, एटूजेड पूर्व से ही डिफॉल्टर थी वाबजूद इसके कम्पनी पर मेहरबान होकर कैसे काम दिया गया ? जो आज भी अधूरा है, इसी प्रकार वैपकोस कम्पनी ने चम्बल में जो कर्मचारियों अधिकारियों की भर्ती की उनका वेतन दिए बिना कम्पनी गायब हो गई । और भी ऐसे कई मामले हैं जिनको दबा दिया गया । ईमानदारी से जांच हुई तो करोड़ों का घोटाला उजागर होगा । पूर्व में भी अनुमानित 33 हजार करोड़ के घोटाले के संकेत मिले थे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि खबरें गायब हो गईं । जो बिजली कंपनियां काम छोड़कर भुगतान लेकर भाग गई हैं उनकी वसूली आम उपभोक्ता से क्यों ❓

