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Monday, December 16, 2019

अमोला पुलिस की क्रेशर डस्ट के भरे 4 डंफरों पर रेत बताकर कार्रवाई सवालों के घेरे में..? वैद्य रॉयल्टी ओर अंडर लोड डंफरों पर क्यों हुई दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई कही विधायक को बदनाम करने की साजिश तो नही...?, मानवाधिकारों का खुलेआम उलंघन- पढ़े खबर का एक्सरे

शिवपुरी/करैरा:- जिले के करैरा अनुविभाग का अमोला थाना पूरे प्रदेश में रेत के लिए बदनाम है। वही कानपुर मुम्बई ओर कोटा हाइवे पर होने की वजह से उक्त थाने के सामने से ही वैद्य व अवैध वाहन गुजरते है। जिसके चलते अवैध रेत उत्खनन के अतिरिक्त यहां पुलिस इंट्री के नाम से भी वाहनों से वसूली की जाती है। फिलहाल जिले के ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ कप्तान साहब के द्वारा पूरे अनुविभाग में अवैध रेत उत्खनन पर तो पूर्ण रूप से लगाम लगा दी गयी है। लेकिन दीगर जिलों से रेत का व्यवसाय चोरी छुपे रात के अंधेरे में आज भी जारी है। जिसके चलते हाइवे पर स्थित उक्त थाने के आगे से गुजरने वाले रेत के डम्फर प्रतिमाह 5 हजार की इंट्री देकर यहां से रात्रि के अंधेरे में चुपचाप निकल रहे है। लेकिन जो वाहन इंट्री का शुल्क नही देता वो वाहन तथा वाहन मालिक यहां की पुलिस की आंख की किरकिरी बन जाता है। और इंट्री लेने के लिए पुलिस उसके साथ क्या नही करती आज हम उसकी बानगी आपको बताएंगे। पुलिस की कहानी के अनुसार घटना गुरुवार-शुक्रवार की सुबह 2:30 बजे की है जब चेकिंग के दौरान पुलिस ने डम्फर रोका तो उसमे रेत भरी हुई थी। नशे में धुत डम्फर ड्राइवर ने थाना प्रभारी अमोला को धमकी दी कि में विधायक का रिश्तेदार हूं और आपको गाड़ी पकड़ना महंगी पड़ेगी नशे में धुत ड्राइवर नीरज जाटव ने वहां काफी हंगामा किया एसडीओपी करैरा भी वहां आ गए जिसके बाद चारों डम्फर जप्त कर थाने में रख दिये ड्राइवर ड्राइवर का मेडिकल कराया गया पहले करैरा अस्पताल फिर जिला चिकित्सालय शिवपुरी ओर उसके बाद खुद पुलिस ने ही ब्रीथ एनालाइजर से किया। जिसमे शराब का अत्यधिक सेवन करना पाया गया। फिलहाल करैरा एसडीओपी श्री आत्माराम शर्मा मामले की जांच कर रहे है। यदि उक्त बिंदुओं को ध्यान में रख जांच होगी तो थाना प्रभारी की कार्रवाई की सच्चाई सबके सामने होगी...?
अब सच्चाई क्या है वह कहानी इस प्रकार है:-
1- उक्त डम्फर डस्ट भरकर झांसी से चला गुरुवार शाम तकरीबन 5 बजे यहां से उसने रॉयल्टी कटाई क्रेशर पर भी है सीसीटीवी कैमरे लगे उनकी फुटेज में भी है डम्फर (झूठी कहानी का प्रथम प्रमाण) 
2-इसके बाद उक्त डम्फर करीब शाम 5:30 बजे रक्सा स्थित टोल प्लाजा पर पहुचा यहां पर टोल के कैमरों में डम्फर की मौजूदगी है उसके बाद टोल की पर्ची कटाई गयी जिसमे स्पष्ट अंडर लोड होना है क्योंकि अंडर लोड को ही निकलने की नियमानुसार अनुमति है। यदि ओवर लोड थी तो टोल पर ही होती कार्रवाई (झूठी कहानी का दूसरा प्रमाण)
3- इसके बाद तकरीबन डम्फर शाम 7 बजे सिरसौद चौराहे पहुँचा यही से शुरू हुई पुलिस की दुर्भावना की कहानी डम्फर को शाम 7 बजे के आसपास अमोला पुलिस ने रोका और ड्राइवर बल्लू नारही से कागज मांगे कागज ओर रॉयल्टी देखने के बाद वहां मौजूद स्टाफ ने इंट्री की मांग की तो ड्राइवर बल्लू ने मालिक नीरज जाटव को बुलाया नीरज जाटव ने आकर अमोला थानाप्रभारी की मौजूदगी में पूछा कि साहब हमारी गाड़ी के कागज पूरे है रॉयल्टी है में किस बात की एंट्री दू तो वह बोले गाड़ी ओवरलोड है जिसपर से नीरज ने टोल की पर्ची दिखाई जो अडरलोड का प्रमाण थी उक्त बात से नाराज होकर पुलिस ने नीरज के साथ मारपीट कर दी जिसके चलते उसे हाथ, घुटने आदि में चोटें आई तो मामला बिगड़ता देख अमोला पुलिस ने मामले में कहानी रच डाली और जिसको डम्फर चलना तक नही आता और उसका परिवहन विभाग से जारी लाइसेंस भी हेवी वाहन चलाने का नही है। तो वह कैसे डम्फर चलाएगा..? और पीछे भी टोल प्लाजा व क्रेशर के कैमरों में बल्लू नारही नामक ड्राइवर डम्फर चलाता दिख जाएगा। लेकिन फिर भी नीरज को ड्राइवर बना पूरी साजिश रच डाली। (झूठी कहानी का तीसरा प्रमाण)
4- इसके बाद पुलिस नीरज जाटव को अपनी झूठी कहानी सच साबित करने करीब 8 बजे करैरा अस्पताल मेडिकल कराने ले गई यहां पर मेडिकल में नीरज की शराब की मात्रा नियमानुसार सही पाई गई। तो पुलिस की कहानी फेल होती नजर आयी तो नीरज को लेकर पुलिस करीब 9:30 बजे जिला चिकित्सालय शिवपुरी पहुची यहां भी वह अपनी मर्जी के मेडिकल बनवाने में असफल रही तो विभागीय ब्रीथ एनालाइजर से जांच करा ली। जब कानूनन शराब की सही मात्रा का माप चिकित्सक करते है तो फिर दो-दो अस्पतालों में जांच के बाद भी पुलिस असंतुष्ट क्यो थी और खुद की जांच कितनी सच्ची थी...? घटना का समय पुलिस सुबह 2:30 बजे का बता रही है लेकिन घटना से 5 घंटे पहले ही आरोपी बनाए ड्राइवर का मेडिकल कराती है जिसकी पुष्टि जिला चिकित्सालय शिवपुरी में लगे कैमरों की फुटेज में देखे जा सकते है। (झूठी कहानी का चौथा प्रमाण)
5- उक्त मामले में शनिवार को जांच करने आये माइनिंग निरीक्षक सुरेंद्र पटले ने भी जांच में रेत होने तथा ओवरलोड होने की पुष्टि किस आधार पर कर दी यह भी समझ से परे है आखिर इनके पास ऐसा कौन सा यंत्र था कि सीसीटीवी कैमरों के समक्ष भरी डस्ट रेत बन गई और टोल प्लाजा से अंडरलोड निकला डम्फर ओवरलोड हो गया। दाल में कुछ काला या पूरी दाल ही काली है...? (झूठी कहानी का पांचवां प्रमाण)
यदि उसदिन मेडिकल करने ले गए पुलिस कर्मियों की टावर लोकेशन ओर समय मिलाया जाए एवं बताए गए स्थानों के सीसीटीवी फुटेज निकाले जाए तो अमोला पुलिस द्वारा रची गई झूठी कहानी की पोल खुलते देर नही लगेगी। उक्त मामले में नीरज जाटव की शराब का तो मेडिकल पुलिस कराती रही लेकिन उसकी मारपीट का मेडिकल क्यो नही कराया यह भी पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान है। और इस तरह से नीरज की मारपीट करना मानवाधिकारों का खुला उलंघन है। और फिर रची गयी कहानी एक विधायक पर आरोप लगाना किसी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।