उज्जैन/(मध्यप्रदेश)। लोकायुक्त ने विभाग के पूर्व डीजीपी, उज्जैन के पांच पूर्व कलेक्टर, पीडब्ल्यूडी के तीन इंजीनियरों सहित 16 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व आईपीसी की धारा 120 बी के तहत केस दर्ज किया है। मामला स्थानीय दताना मताना हवाई पट्टी से जुड़ा हुआ है। अफसरों पर आरोप है कि हवाई पट्टी लीज पर दिए जाने के बाद संबंधित कंपनी यश एयरवेज से न तो किराया वसूला गया और ना ही हवाई पट्टी का मेंटेनेंस न करने पर कोई कार्रवाई की गई। शिकायत और लंबी जांच के बाद शनिवार को प्रकरण दर्ज हुआ।
लोकायुक्त से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 में शासन ने दताना-मताना हवाई पट्टी यश एयवरेज लिमिटेड को डेढ़ लाख रुपए मासिक किराए पर 10 साल की लीज पर दी थी। अनुबंध के अनुसार पीडब्ल्यूडी को हवाई पट्टी का संधारण करना था। मगर इसके लिए राशि यश एयरवेज को जमा करानी थी। इसके अलावा हवाई पट्टी का किराया वसूलने, यहां खड़े होने वाले विमानों से शुल्क वसूलने सहित रखरखाव की जिम्मेदारी तत्कालीन कलेक्टरों की थी। यश एयरवेज ने मात्र वर्ष 2006-07 का किराया जमा करवाया था।
इसके बाद वर्ष 2013 तक कोई किराया नहीं दिया। वर्ष 2013 के बाद हवाई पट्टी का संचालन भी बंद कर दिया था। यश एयरवेज ने इस दौरान हवाई पट्टी का रखरखाव भी नहीं किया था। वीआईपी एरिया होने के कारण शासन ने हवाई पट्टी को अपने हाथों में लेकर वापस इसका उन्न्यन करवाकर मेंटेनेंस करवाया था।
इन अधिकारियों के नाम पर केस:-
लोकायुक्त पुलिस निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि जांच के बाद वर्ष 2006 से वर्ष 2013 तक उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशेखर शुक्ला, अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम गीता, बीएम शर्मा और कवींद्र कियावत पर केस दर्ज किया है।
अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने यश एयरवेज और हवाई पट्टी पर खड़े होने वाले अन्य विमानों से किराया वसूल नहीं किया। इसके अलावा यह भी नहीं देखा कि हवाई पट्टी का संधारण हो रहा है कि नहीं। पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन ईई एसएस सलूजा, एके टुटेजा, जीपी पटेल पर भी संलिप्तता के आरोप हैं।
लोकायुक्त के पूर्व डीजीपी भी थे यश एयरवेज के डायरेक्टर:-
लोकायुक्त के सेवनिवृत्त डीजीपी अरुण गुर्टु यश एयरवेज लिमिटेड के डायरेक्टर थे। इसके अलावा यशराज टोंग्या, भरत टोंग्या, दिलीप रावल, शिरीश दलाल, वीरेंद्र कुमार जैन, शिवरमण, दुष्यंतलाल कपूर भी डायरेक्टर थे। प्रकरण में इनके नाम शामिल हैं।
जानकारी देने से बचते रहे अफसर:-
हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से लोकायुक्त पुलिस के अफसर बचते रहे। लोकायुक्त डीएसपी शैलेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि भोपाल मुख्यालय से प्रकरण दर्ज हुआ। वहीं एसपी राजेश मिश्रा का मोबाइल दो दिन से स्वीच ऑफ बताता रहा।