गोरखपुर (उत्तरप्रदेश)। देश की बेटी निर्भया को इंसाफ दिलाने में गोरखपुर के अधिवक्ता पुत्र व उसके दोस्त अवनींद्र की अहम भूमिका रही। एकलौते चश्मदीद गवाह दोस्त ने ना सिर्फ दोस्ती निभाई बल्कि आरोपियों को फांसी तक पहुंचाने में भी उसकी गवाही अहम कड़ी साबित हुई थी। एक तरफ निर्भया के गुनहगारों की फांसी की तैयारियां अंतिम चरण में हैं, वहीं, दोस्त के बारे में भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।निर्भया के गुनाहगारों के लिए लड़ने वाला दोस्त खुद इतना टूट गया था कि उसके परिवार को संभालने में चार साल का समय लग गया। किसी तरह से उसे इस सदमे से बाहर निकाला और फिर तीन साल पहले उनकी शादी करा दी गई। अब दो साल के बेटे और पत्नी के साथ एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर विदेश में कार्यरत हैं। मगर अवनींद्र के मन में भी यही इच्छा रहती है कि आरोपितों को कड़ी सजा मिली।जानकारी के मुताबिक 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया अपने दोस्त अधिवक्ता भानू प्रकाश पांडेय के पुत्र अवनींद्र के साथ बस से जा रही थी। इस दौरान दरिंदों ने ना सिर्फ उसे अपनी हवस का शिकार बनाया बल्कि दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। इस घटना ने अवनींद्र को अंदर से झकझोर दिया। वह सदमे में चला गया। चश्मदीद गवाह के तौर पर सिर्फ वहीं मौजूद था जिसकी गवाही से दोषियों को सजा होती।काफी लंबे समय तक अवनींद्र ने गुमनामी की जिंदगी जी। पिता भानू प्रकाश पांडेय घटना का जिक्र होते ही भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि किसी के लिए कहना और सुनना आसान होता है मगर जो घटना हुई और उस रात का पता चला, तब हम लोगों की स्थिति क्या थी उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। किसी तरह से बेटे को उभारा।खबर है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाने के इंतजाम भी कर लिए हैं। तिहाड़ जेल में करीब 25 लाख रुपये की लागत से एक नया तख्ता तैयार किया गया है। इसके बाद यह साफ है कि चारों को एक साथ फांसी होगी। ज्ञात हो कि तिहाड़ जेल प्रशासन पहले भी चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी देने की बात कह चुका है।