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Saturday, March 28, 2020

इटली की गलतियों से सीख रहे भारत के अस्पताल, स्टाफ को एक सप्ताह की ड्यूटी दो हफ्ते छुट्टी

नई दिल्ली। अगर कोविड-19 जैसी भयावह महामारी के विकराल रूप धारण करने का खतरा दिखाई दे तो क्या अस्पतालों में हरेक स्टाफ को एकसाथ तैनात कर देना चाहिए? इटली ने तो यही किया। लेकिन, इस रणनीति में एक बड़ी खोट यह है कि अगर किसी एक स्वास्थ्यकर्मी को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ तो फिर बाकी हॉस्पिटल स्टाफ को भी क्वारेंटाइन में भेजना पड़ेगा क्योंकि अस्पताल का हरेक स्टाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर एक-दूसरे के संपर्क में आता ही है। ऐसे में अस्पताल में स्टाफ की भारी किल्लत हो जाएगी और पूरा अस्पताल ही बेकार पड़ जाएगा। इटली में यही हुआ।
इटली की गलती से सबकइटली की इसी गलती से सबक लेकर देश के शीर्ष सकारी अस्पतालों ने रोटेशन फॉर्म्युला अपना लिया जिसके तहत डॉक्टरों, नर्सों समेत तमाम हॉस्पिटल स्टाफ को तीन भागों में बांट दिया गया है। ए ग्रुप एक सप्ताह तक काम करता है और दो सप्ताह तक स्टैंड बाय मोड में चला जाता है। इसी तरह बी और सी ग्रुप भी करते हैं। यह फॉर्म्युला अपनाने वालों में दिल्ली, जोधपुर और भोपाल के एम्स, दिल्ली के सफदरजंग और लोक नायक अस्पताल आदि शामिल हैं।
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अस्पतालों में सोशल डिस्टैंसिंग का यह फॉर्म्युला
एक अधिकारी ने बताया कि इस तरीके से अगर किसी एक ग्रुप के साथ संक्रमण का खतरा पैदा भी हो तो दो ग्रुप तैयार रहते हैं। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'यह फॉर्म्युला अस्पतालों में सोशल डिस्टैंसिंग सुनिश्चित करता है। इससे तैयारी का हमारा स्तर बढ़ाता है और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों को सुरक्षित बनाता है।'
डॉ. गुलेरिया का समर्थन करते हुए भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने कहा, 'हमने भी कोविड-19 मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के लिए इसी तरह की व्यवस्था की है।' वहीं, जोधपुर एम्स की तरफ से जारी एक ऑर्डर के मुताबिक, 'विभागीय प्रमुख कभी भी मैनपावर की उपलब्धता की योजना इस तरह बना सकता है जिससे वर्कप्लेस पर 30% या जरूरत के मुताबिक स्टाफ मौजूद रहें।'
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लोक नायक हॉस्पिटल के कार्यकारी प्रमुख डॉ. जेसी पासी ने कहा कि उन्होंने भी यही व्यवस्था अपना रखी है। अस्पताल में अभी कोविड-19 के छह मरीज भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि यूं तो अस्पताल में अभी PPE का पर्याप्त भंडार है, लेकिन भविष्य में इसकी कमी हो सकती है क्योंकि मैन्युफैक्चरर थोक मात्रा के ऑर्डर नहीं ले रहे हैं।
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जरूरी उपकरणों का अभाव:-
देशभर के कई अस्पतालों को इसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। पटना के नलांदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (NMCH) के एक सीनियर डॉक्टर ने कहा कि WHO रेकमेंडेड हजामत सूट्स उपलब्ध नहीं हैं। ये सूट उन डॉक्टरों को पहनना जरूरी हैं जो कोविड-19 मरीज का इलाज करते हैं। उन्होंने कैंपस में साफ-सफाई की कमी की तरफ भी इशारा किया।
स्वास्थ्यकर्मियों पर खतरा:-
स्वास्थय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को उन देशों से सीखना चाहिए जहां कोविड-19 महामारी ने कई लोगों की जानें ले लीं जिनमें बहुत से स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। मसलन, इटली में 45 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। इटैलियन नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, इटली में महामारी शुरू होने से अब तक 6 हजार स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं।