नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स नई दिल्ली के डॉक्टर शराब पीने वाले लोगों को चेता चुके हैं। डब्ल्यूएचओ भी कह चुका है कि महामारी में शराब पीने का असर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। ऐसे लोगों के चपेट में आने का खतरा अधिक है। वहीं, पंजाब, केरल और अन्य राज्य राजस्व के लिए लोगों की जान जोखिम में डालकर शराब की दुकानें खोलने पर अमादा हैं। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 5.7 करोड़ लोग शराब पीते हैं। डब्लयूएचओ के अनुसार 2018 में शराब पीने से दो लाख 60 हजार लोगों की मौत हुई थी। ऐसे में लॉकडाउन के बीच स्वास्थ्य की खातिर शराब की दुकानों का बंद रहना जरूरी है।
हर साल शराब पीने वाले 30 लाख की मौत:-
जहां दुकानें खुली हैं, वहां मौत का मंजर है। भारत, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीकी देशों में शराब की दुकानें बंद हैं, लेकिन अधिकतर पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं है। संक्रमण से बुरी तरह ग्रस्त न्यूयॉर्क में शराब की दुकानें जरूरी सेवाओं के तहत खुल रही हैं। अमेरिका में सबसे अधिक मौतें यहीं पर हुई हैं। यूरोपीय देशों में भी डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद भी दुकानें खुली हैं, वहां मौतों का सिलसिला लगातार जारी है।
अल्कोहल लेने वालों को संक्रमण का खतरा अधिक:-
डब्ल्यूएचओ के शराब और अवैध नशीले पदार्थ की प्रोग्राम मैनेजर करिना फेरिएरा बॉर्जेस का कहना है कि दुनियाभर में हर साल शराब पीने वाले तीस लाख लोगों की मौत होती है। यूरोप में एक तिहाई मौतें शराब पीने से होती है। कोरोना से मरे लोगो में अधिकतर शराब पीते थे। इसमें भी पुरुष ज्यादा हैं। एक अध्ययन के अनुसार प्रति दस मृत संक्रमितों में से एक व्यक्ति शराब पीता था।
केरल में दवा की तरह शराब पर विवाद:-
केरल में आत्महत्याएं बढ़ने पर राज्य सरकार ने शराब की दुकानें खोलने के लिए ढील देना शुरू की। उसने डॉक्टरों से कहा कि वे ऐसे लोगों को शराब की मात्रा पर्ची पर लिखें। राज्य आईएमए अध्यक्ष डॉ. अब्राहम वर्गीज ने कहा, ये चिकित्सा नियमों के खिलाफ है, जहां डॉक्टर पर्चे पर शराब की डोज लिखे। कोर्ट ने भी फैसला डॉक्टरों के पक्ष में दिया।
नशा खुद के साथ देश के लिए घातक:-
लॉकडाउन के पहले हफ्ते में केरल में नौ लोगों ने शराब न मिलने के कारण आत्महत्या कर ली। इसके बाद तमिलनाडु में कुछ लोगों ने शराब की जगह दूसरा नशीला पदार्थ पी लिया जिसके कारण छह लोगों की मौत हो गई। अभी भी देश के कई राज्यों में शराब की कालाबाजारी हो रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों में घर पर बनने वाली शराब पीकर अपना नशा पूरा कर रहे हैं। ऐसे लोग अपने साथ पूरे देश के लिए घातक हैं।
नशे की लत वाले रोगियो की संख्या बढ़ी:-
बंगलुरू के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की प्रो. प्रतिमा मूर्थी बताती हैं कि नशे की लत वाले मरीजों की संख्या पिछले दो सप्ताह में बढ़ गई है। हर दिन औसतन 25 मरीज अस्पताल की इमरजेंसी पहुंच रहे हैं। शराब की लत बीमारी होती है। लोगों को पता है कि इसका इलाज संभव है इसलिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। बेहतर यही है कि इस दौर में इसको पीने से बचा जाए।
भ्रम है, शराब वायरस को मार देता है:-
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ये पूरी तरह भ्रम है कि शराब पीने से वायरस मर जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एथेनॉल और मेथेनॉल मिलाकर तैयार शराब बेहद से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें हो सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोच समझकर फैसला लें, क्योंकि आपकी एक गलती आपकी जिंदगी और आपके परिवार के लिए मुश्किल भरी हो सकती है।
तनाव से बचने के लिए शराब का सहारा न लें:-
लॉकडाउन के कारण घरों में बंद लोग तनाव से बचने के लिए शराब का सहारा ले रहे हैं, यह घातक है। दूसरों को भी इससे दूर रहने को कहें। तभी सुरक्षित रहेंगे। अगर शराब पीने वाले व्यक्ति की तबियत बिगड़ती है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं।