ग्वालियर। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों को लेकर भाजपा आलाकमान इन दिनों बेहद हैरान है। हैरानी का कारण भाजपा द्वारा कराया गुपचुप सर्वे है, जिसमें इन 22 पूर्व विधायकों और मंत्रियों में से एक दर्जन से ज्यादा की सीट खतरे में दिखाई पड़ रही है। इसी कारण अब भाजपा भी मंत्रिमंडल विस्तार में इन पूर्व मंत्रियों की भागीदारी पर संशय कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा आलाकमान के इशारे पर एक सर्वे एजेंसी ने मध्यप्रदेश में इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायकों और सरकार के उन मंत्रियों का सर्वे किया था जिस सर्वे में यह बात सामने आई तो आलाकमान परेशान हो गया है, जिसमें भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के 13 पूर्व विधायक व मंत्रियों की हालत पतली दिखाई पड़ती है। बताया जाता है कि भाजपा आलाकमान इन सर्वे को लेकर चिंतित है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने मंत्रीमंडल विस्तार में कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों को स्थान देने में कंजूसी बरती है। अन्यथा वायदे के मुताबिक इस्तीफा देने वाले सभी मंत्रियों को पुनः मंत्री बनाया जाना था। अब संभावना इस बात की भी बन गई है कि अब मुख्यमंत्री अपना मंत्रीमंडल विस्तार इसी कारण फिलहाल लॉकडाउन का नाम लेकर कुछ समय को टाल भी रहे है। परंतु कुछ सिंधिया समर्थक उपचुनाव में अपनी सीट बचा लेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। इनके लिए सिंधिया जी द्वारा की गई मेहनत भी जाया हो सकती है। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार तो आलम यह है कि वर्तमान के सिंधिया समर्थक दोनों मंत्री भी अपनी सीट उपचुनाव में बचा पायेंगे या नहीं इसका भी कोई भरोसा नहीं है। वहीं पूर्व भाजपा प्रतिद्वंदियों ने भी अपनी अपनी सीटों से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इतना ही नही यदि भाजपा उनको टिकिट नही देती है तो वे पार्टी से विद्रोह कर कांग्रेस से भी चुनाव लड़ने व जीतने का दंभ भरते नजर आ रहे है। वही आम जनता भी इन पूर्व हो चुके कुछ विधायकों से नाराज चल रही है। और कांग्रेस भी उपचुनाव में अपनी सीटें वापसी करने पुर जोर लगाने के प्लान में है।