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Saturday, August 4, 2018

किडनी फेल के मरीजों के लिए रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट वरदान, अगले ही दिन मरीज चलने लगता हे- डॉ. रंजन

लुधियाना किडनी फेल होने जैसी गंभीर बीमारी से जूझने वाले मरीजों के लिए रोबोटिक किडनी ट्रासप्लाट सर्जरी वरदान की तरह है, क्योंकि इसमें मरीज को सिर्फ 5 सेंटीमीटर चीरे में ही काम करने वाली किडनी भी मिल जाती है। जबकि पारंपरिक किडनी ट्रासप्लाट में मरीज को किडनी हासिल करने के लिए करीब 25 से 30 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता है। यह कहना है प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट और ट्रासप्लाट सर्जन डॉ. प्रियदर्शी रंजन का। फोर्टिस मोहाली के यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एंड किडनी ट्रासप्लाटेशन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रियदर्शी रंजन शुक्रवार को फ्रेंड्स रिजेंसी में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। डॉ. रंजन रोबोटिक किडनी ट्रासप्लाट करने वाले दुनिया के टॉप दस सर्जन में से एक है। पत्रकारों से डॉ. रंजन ने कहा कि अब तक फोर्टिस मोहाली में 9 मरीजों का सफलतापूर्वक रोबोटिक किडनी ट्रासप्लाट किया जा चुका है। ताजा सर्जरी 25 जुलाई को की गई, जिसमें एक बहन ने अपनी किडनी अपने भाई को दान की। डॉ. रंजन ने कहा कि जिन 9 मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की गई है, वह सभी स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोबेटिक किडनी ट्रांसप्लांट के कई फायदे हैं। इससे प्रत्यर्पित की जा रही किडनी को कोई क्षति नहीं पहुंचती। इसमें रक्तस्त्राव भी कम होता है। ट्रांसप्लांट के लिए छोटा चीरा लगाने से 6 महीने बाद निशान नहीं मिलते। इससे संक्रमण की आशका बिल्कुल नहीं रहती। पारंपरिक रूप से होने वाले किडनी ट्रासप्लाट की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में बहुत ही कम जटिलता होती है। इसी वजह से मरीज अगले दिन चलने फिरने लगता है। डॉ. रंजन ने कहा कि नार्मल किडनी ट्रांसप्लांट के खर्च की तुलना में रोबेटिक किडनी ट्रांसप्लांट में करीब डेढ़ से दो लाख रुपये के बीच खर्च ज्यादा आता है।