भोपाल मध्यप्रदेश में आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। फिजूलखर्ची और आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया के हालात ने प्रदेश के खजाने की सेहत बिगाड़ दी है। पिछले कुछ महीनों में तीन बार वेज एंड मींस (सिर्फ वेतन बांटने लायक पैसा बचा) की स्थिति पैदा हो चुकी है। हालत नहीं सुधरे तो मप्र अक्टूबर में ओवर ड्राफ्ट हो सकता है।
वेज एंड मीन एक तरह से ओवर ड्राफ्ट से पहले की स्थिति है। डैमेज कंट्रोल में जुटे वित्त विभाग ने अब बड़े विभागों के खर्चों में कटौती शुरू कर दी है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग जैन और अन्य अधिकारी गृह, स्कूल शिक्षा, लोक निर्माण, स्वास्थ्य, जल संसाधन, उद्योग विभाग के साथ बैठक कर आने वाले खर्चों का अंदाजा लगा रहे हैं। अक्टूबर तक स्थिति साफ हो जाएगी। यदि मौजूदा हालात रहे तो ओवर ड्राफ्ट की स्थिति आ सकती है।
दिग्विजय सरकार के आखिरी दिनों जैसी स्थिति-
भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल में मप्र कभी भी ओवर ड्राफ्ट की स्थिति में नहीं पहुंचा है। इससे पहले दिग्विजय सिंह सरकार के आखिरी दिनों में जरूर मप्र में यह स्थिति पैदा हुई थी।
क्या होता है ओवर ड्राफ्ट....?
ओवर ड्राफ्ट को आम भाषा में आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया कहावत से भी समझा जा सकता है। सरकार के पास आय से अधिक खर्च होने लगे तो यह स्थिति ओवर ड्राफ्ट कहलाती है। इससे प्रदेश की साख खराब होती है।
यह किये फिजूलखर्च वाले काम-
लगातार दो साल तक सरकार ने प्याज के बंपर उत्पादन पर किसानों से प्याज खरीद ली और यह प्याज सड़ गई। इससे सरकार को करीब 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ। युवा कांट्रेक्टर योजना पूरी तरफ फ्लॉप हो गई। युवा इंजीनियरों की ट्रेनिंग, स्टायपंड पर करोड़ों रुपए खर्च हुए। लेकिन, यह योजना अपेक्षित नतीजे हासिल नहीं कर पाई। नर्मदा सेवा यात्रा और आदि शंकराचार्य पर निकली एकात्म यात्रा में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो गए।
यूं होती गई हालत खराब-
7 से 8 हजार करोड़ रुपए खजाने में हमेशा रहता था, 1600 करोड़ रुपए है मप्र की वेज एंड मींस की सीमा, 3 बार खजाने में पैसा इससे भी कम हो गया जुलाई-अगस्त में, सरकार के पास करीब दो हजार करोड़ रु. बचे हैं। इस वित्तीय वर्ष में 5 बार बाजार से कर्ज ले चुकी है सरकार
राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती पांच महीनों में ही 5 बार बाजार से 6 हजार करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है। आने वाले महीनों में खर्च चलाने के लिए सरकार फिर कर्ज उठा सकती है। हालांकि अभी यह कर्ज एफआरबीएम एक्ट के दायरे में ही है। 31 मार्च 2018 तक राज्य सरकार के ऊपर 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।
दिक्कतें हैं लेकिन, जो भी स्थिति बनेगी उसे संभाल लेंगे। - जयंत मलैया, वित्त मंत्री
