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Friday, December 14, 2018

कमलनाथ के हाथ में MP की कमान, 17 को लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ


भोपाल। कमलनाथ मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर के बाद पर्यवेक्षक एके एंटोनी ने कमलनाथ के नाम की औपचारिक घोषणा की. कमलनाथ 17 दिसंबर को भोपाल में सीएम पद की शपथ लेंगे. मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में वापसी कर रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह भव्य होगा. माना जा रहा है कि कमलनाथ के साथ उनके मंत्रीमंडल के 20 सदस्य भी शपथ लेंगे.नए सीएम के तौर पर नाम की घोषणा के बाद कमलनाथ ने कहा, "यह पद मेरे लिये मील का पत्थर है.  ज्योतिरदित्य का धन्यवाद जिन्होंने मेरा समर्थन किया. इनके पिताजी के साथ मैंने काम किया है इसलिए इनके समर्थन मिलने से मुझे खुशी हो रही है. अब हमारे सामने कई चुनौतियां हैं, हम सब मिलकर हमारा वचन पत्र पूरा करेंगे. मुझे पद की कोई भूख नहीं. मेरी कोई मांग नहीं थी. मैंने अपना पूरा जीवन बिना किसी पद की भूख के कांग्रेस पार्टी को समर्पित किया. मैंने संजय गांधी, इंदिरा, राजीव के साथ काम किया है और अब राहुल गांधी के साथ काम कर रहा हूं."
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर-
भोपाल में कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह रहा. पीसीसी दफ़्तर और एयरपोर्ट पर कार्यकर्ता कमलनाथ और सिंधिया के इंतजार में घंटों बैठे रहे.दिल्ली में मैराथन मीटिंग के बाद तय हुआ नाम
मध्यप्रदेश के सीएम पद का नाम तय करने के लिए  दिल्ली में राहुल गांधी के आवास में करीब 4 घंटे लंबी बैठक चली. इस बैठक में राहुल के साथ सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं. कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, ए के एंटनी सहित कई नेता भी इस बैठक में शामिल हुए. सीएम पद के लिए नाम के ऐलान से पहले सभी नेताओं के समर्थक विधायकों की संख्या के नज़रिए से भी विचार किया गया.कमलनाथ के साथ सिंधिया भी मध्यप्रदेश के सीएम पद के प्रबल दावेदार थे. बैठक में प्रदेश के पर्यवेक्षक एके एंटोनी मौजूद रहे. मध्य प्रदेश के नव निर्वाचित विधायकों की सीएम पद के लिए की गई रायशुमारी की रिपोर्ट लेकर दिल्ली पहुंचे थे.सिंधिया समर्थक उनके नाम के लिए ज़ोर लगा रहे थे. भोपाल में पीसीसी दफ़्तर के बाहर भारी संख्या में दोनों नेताओं के समर्थक जमा रहे और वो अपने-अपने नेता के समर्थन में नारे लगा रहे थे.कांग्रेस विधायक दल ने बुधवार को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चयन करने का अधिकार पार्टी  राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को को दे दिया था. विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित किया कि राहुल ही मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला करें. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने इस आशय का प्रस्ताव विधायकों की बैठक में रखा था, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था.प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लगभग दो घंटे तक बैठक के बाद पार्टी पर्यवेक्षकों के तौर पर यहां आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और कुंवर भंवर जितेन्द्र सिंह ने विधायकों से अलग-अलग राय ली थी.बैठक में कांग्रेस को समर्थन दे रहे चार निर्दलीय विधायक, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा सहित अन्य नेता  मौजूद थे.प्रदेश में 28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के बाद बुधवार सुबह मतगणना समाप्त होने पर कांग्रेस ने 114 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है जो कि बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र दो सीटें कम है. वहीं प्रदेश में पिछले 15 साल से सत्तारुढ़ भाजपा 109 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर रही. प्रदेश में दो सीटों पर बसपा, एक सीट पर समाजवादी पार्टी और चार सीटों पर निर्दलीयों ने विजय दर्ज की है. प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं.बुधवार दोपहर को कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राजभवन में मुलाकात कर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा पेश किया था