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Tuesday, February 19, 2019

डरपोक है जैश सरगना अजहर मसूद, एक थप्पड़ पड़ते ही उगल दिए थे सारे राज- पूर्व (IB) अधिकारी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को बहकाकर भारत में आतंकी हमले कराने वाला जैश ए मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर बहुत ही डरपोक आदमी है। भारत को बरबाद करने की धमकी देने वाला मसूद अजहर जब पहली बार सुरक्षा बलों की गिरफ्त में पहुंचा था तो उसकी सारी हेकड़ी चली गई थी। सेना के एक अधिकारी का एक थप्पड़ पड़ते ही वह टूट गया और अपनी आतंकी गतिविधियों के बारे में सबकुछ बक दिया था। उससे पूछताछ करने वाले पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने यह बात बताई।
अधिकारी के मुताबिक मसूद अजहर को फरवरी, 1994 में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में गिरफ्तार किया गया था। वह पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था और फिर कश्मीर चला गया था। सिक्किम पुलिस के महानिदेशक रहे अविनाश मोहनाने ने बताया कि गिरफ्त में आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को उससे जानकारी उगलवाने में किसी तरह की सख्ती नहीं बरतनी पड़ी।
वह बताते हैं कि सेना के एक अधिकारी का थप्पड़ पड़ते ही उसने सबकुछ बक दिया था। मसूद ने विस्तार से बताया था कि पाकिस्तान से आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को किस तरह अंजाम दे रहे थे। उन्हें किस-किस की मदद मिलती थी।
खुफिया ब्यूरो (आइबी) में दो दशक तक रहने वाले मोहनाने ने मसूद अजहर से कई बार पूछताछ की थी। मोहनाने के मुताबिक मसूद ने पूछताछ में बताया था कि पुलिस उसे बहुत दिनों तक गिरफ्त में नहीं रख सकती है। उसने खुद को पाकिस्तान और आईएसआई के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया था। उसके कुछ दिन बाद ही आतंकियों ने 10 विदेशी सैलानियों का अपहरण कर उसे छोड़ने की मांग की थी।
1995 में एक बार फिर पांच विदेशियों का अपहरण कर उसे छुड़ाने की कोशिश की गई। लेकिन दोनों ही बार उन्हें असफलता मिली। बाद में 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण के बाद यात्रियों के बदले में उसे और चार अन्य आतंकियों को कंधार में छोड़ा गया था। उसके बाद ही उसने जैश का गठन किया। फिर संसद से लेकर पठानकोट, जम्मू और उड़ी में सेना के अड्डों पर हमले से लेकर पुलवामा आतंकी हमलों तक को अंजाम दिलाया।
मोहनाने ने बताया कि 1997 में उनका दूसरी जगह तबादला हो गया, तब उन्होंने मसूद से आखिरी बार मुलाकात की। अधिकारी के मुताबिक मसूद ने उन्हें शुभकामनाएं दी थी। 1985 बैच के आइपीएस अधिकारी मोहनाने कश्मीर में आइबी के प्रमुख थे।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के दौरान पूछताछ में अजहर ने पाकिस्तान में आतंकियों की भर्ती से लेकर उनके काम करने के तरीकों के बारे में अहम जानकारियां दी थी। उस समय भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध के बारे में बहुत ज्यादा खुफिया जानकारियां नहीं होती थीं।
मोहनाने के मुताबिक उन्होंने कोट बालवाल जेल में मसूद से कई बार पूछताछ की थी। उससे पूछताछ में उन लोगों को सख्ती नहीं बरतनी पड़ती। उसने बताया था कि अफगानिस्तान से आतंकियों को कश्मीर घाटी की तरफ भेजा जा रहा है। उसने यह भी बताया था कि हरकत उल मुजाहिद्दीन (हम) और हरकत उल जेहाद ए इस्लामी (हूजी) का उसके संगठन हरकत उल अंसार में विलय हो गया था।
मोहनाने ने बताया कि भारत में घुसने के बाद कश्मीर जाने से पहले वह सहारनपुर गया था। जहां उसने हम और हुजी के विरोधी धड़ों के बीच मेल कराया था। मसूद अजहर ने बताया था कि उसके लिए पैदल चलकर नियंत्रण रेखा पार कर भारत में घुसना मुश्किल था। इसलिए वह पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट के सहारे बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान वह शांत बना रहता था। उसका बर्ताव भी ठीक था और बहुत ढंग से बात करता था। पूछताछ में वह हर सवाल का पूरे विस्तार से उत्तर देता था।