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Tuesday, July 9, 2019

डेढ़ बीघा जमीन में धनिया बोकर 4.50 लाख रु. का कमाया मुनाफा

पोहरी। तहसील के लगभग 100 गांवों में अल्पवर्षा के कारण किसानों के ट्यूबवेल में हुए कम पानी के कारण रबी की फसल का उत्पाद कम हो पा रहा है। इसके चलते एक किसान ने खरीफ व रबी की फसल से रहे नुकसान से परेशान होकर ग्राम समसपुर के किसान जगन्नाथ पुत्र रतनलाल धाकड़ ने अपनी सूझबूझ से धनियां खेती की, जो उनके लिए डूबती नैया को किनारे लगाने वाली साबित हुई है। किसानों का कहना है कि अब उन्होंने खरीफ के मौसम में बारिश के पानी से होने वाली अन्य फसलों की अपेक्षा इन नकदी फसलों की खेती करने का मन बनाया है। यही वजह है कि वह कम पानी और लागत में ज्यादा लाभ देने वाले धनिया जैसी फसल की खेती में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। इतना ही नहीं समसपुर गांव का धनियां श्योपुर से ग्वालियर मंडी में महक बढ़ा रहा है। खासबात ये है कि इस सीजन में हरे धनियां के 80 से 100 रुपए प्रतिकिलो भाव मिल रहे हैं। 
एक दर्जन ग्रामीणों ने की धनियां की खेती शुरू- 
समसपुर गांव के जगन्नाथ धाकड़ की माने तो उनकी धनियां की खेती से घर में आई संपन्नता को देख गांव के एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने भी धनियां की खेती शुरू कर दी है। जिसमें धनियां की खेती से अच्छा मुनाफा लेने वाले गावं में जगन्नाथ पहले किसान हैं। उनके अच्छे मुनाफा देख गांव अन्य किसानों ने भी धनियां की खेती शुरू कर दी है। जिसमें अतर सिंह धाकड़, दौलत सिंह धाकड़, बुद्धू धाकड़, बाबू धाकड़ सहित अन्य किसान धनियां की खेती कर मेरी तरह मुनाफा कमा रहे है। किसान का कहना है कि मैं लगातार 12 साल से धनियां की खेती करता चला आ रहा हूं। 
श्योपुर व ग्वालियर तक जा रही पोहरी की धनियां- 
धनियां की फसल उत्पादन करने वाले किसानों की मानें तो वे अच्छा भाव मिलने के कारण अपने धनियां को श्योपुर की मंडी के अलावा ग्वालियर मंडी बेचने के लिए जाते हैं जहां उन्हें 80 से 100 रुपए प्रति किलों के भाव मिल रहे हैं। धनियां के अच्छे मुनाफा से किसान अपनी अन्य परंपरागत खेती को छोड़कर इस खेती की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं। वहीं उद्यानिकी विभाग के पास इसका रकबा तक मेंटेन नहीं है।