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Sunday, August 25, 2019

व्यापम घोटाला: पुत्र-पुत्री मोह में कई सेवानिवृत्त IAS और IPS अधिकारियों पर CBI का शिकंजा कसा

भोपाल/मध्यप्रदेश। व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले में प्री-पीजी परीक्षा 2012 के मामले में सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस तीन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। इन लोगों के खिलाफ अदालती कार्रवाई शुरू करने के लिए सीबीआई को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
व्यापमं की तत्कालीन अध्यक्ष और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रंजना चौधरी, सेवानिवृत्त आईएएस अफसर कैलाशचंद्र जैन और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे की मुश्किलें उनके बेटे-बेटी के कारण बढ़ने के आसार हैं। वहीं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सोनाली मिश्रा के भाई भरत मिश्रा के खिलाफ भी सीबीआई को कई सबूत मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, व्यापमं घोटाले की प्री-पीजी परीक्षा 2012 में करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ था।
क्या है पूरा मामला:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार एमबीबीएस पास विद्यार्थियों और सरकारी डॉक्टरों ने यह परीक्षा दी थी। इनके पेपर भरत मिश्रा की मंडीदीप स्थित फैक्टरी में खोलकर चुनिंदा परीक्षार्थियों को दिखाए गए। परीक्षा के एक दिन पहले मिश्रा की फैक्टरी में परीक्षार्थियों को बुलाकर इसकी तैयारी कराई गई। पेपर की गोपनीय चाबी (पासवर्ड) लीक होने को लेकर व्यापमं की तत्कालीन अध्यक्ष रंजना चौधरी की भूमिका पर सीबीआई ने सवाल उठाए हैं। उसमें उनकी भी मिलीभगत सामने आई।
इन अधिकारियों पर सीबीआई का शिकंजा कसा:-
सूत्र बताते हैं कि प्री-पीजी परीक्षा 2012 में दूसरे सेवानिवृत्त आईएएस कैलाशचंद्र जैन की भूमिका उनके बेटे के परीक्षा में बैठने पर सामने आई। जैन ने अपने बेटे के लिए मोटी रकम के सहारे प्री-पीजी परीक्षा में व्यवस्था की।
इसी तरह सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे ने अपनी बेटी को प्री-पीजी परीक्षा में पास कराने के लिए लाखों रुपए का इंतजाम किया। तब शिवहरे ने बेटी की शादी के लिए एमबीबीएस लड़का देखकर उसे भी प्री-पीजी कराने के लिए रैकेट में शामिल लोगों से चर्चा की थी।