भोपाल। आतंकी फंडिंग के आरोपों के बाद एक बार फिर मध्य प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने चीनी सिम बॉक्स-सक्षम जासूसी और आतंकी फंडिंग के रैकेट के भंडाफोड़ का दावा किया है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहे आतंकियों के लिए फडिंग करने के आरोप में अलग-अलग ठिकानों पर दबिश देकर 5 आरोपियों को बलराम सिंह, भागवेंद्र सिंह, सुनील सिंह, शुभम तिवारी और एक अन्य को हिरासत में लिया गया, लेकिन पूछताछ के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि 2 से पूछताछ जारी है.
बलराम इस मामले में पहले भी 8 फरवरी 2017 को एटीएस की गिरफ्त में आ चुका है. सूत्रों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय सीमा पार बैठे आकाओं के इशारे पर आतंकियों की फंडिंग के लिये ये लोग काम कर रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, हिरासत में लिए गए पांचों लोगों के सेलफोन में पाकिस्तानी फोन नंबर थे. आरोपी व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से संपर्क में थे, क्राइम ब्रांच ने इनके व्हाट्सएप चैट को प्राथमिक जांच के दौरान ट्रैक किया था.
मध्यप्रदेश में विंध्य का इलाका धीरे-धीरे आईएसआई के टेरर फंडिंग के तौर पर जाने जाना लगा है. साल 2017 में रज्जन तिवारी और संयोग सिंह, 2018 में रीवा जिले के एक युवा और कुछ हफ्ते पहले सीधी जिले के सौरभ शुक्ला को आतंकी फंडिंग रैकेट के मामले में गिरफ्तार किया था.
दरअसल, आईएसआई के जासूसी और आतंकी अभियानों के एक हिस्से के रूप में, सीमा पार बैठे आतंकी भारतीय नागरिकों को फोन लॉटरी धोखाधड़ी और दूसरे तरीकों से चीनी सिम बॉक्स आधारित अवैध फोन एक्सचेंज के जरिये फंसाते हैं. गरीब लोग इनके निशाने पर होते हैं जिनके खाते को ये लोग 2000 रुपये से 5000 रुपये के मासिक किराए पर लेते हैं.आरोप है कि इस तरह के बैंक खातों से बलराम और उसके साथी हवाला और दूसरे जरिये से देश में आईएसआई की जासूसी नेटवर्क को संचालित करने के लिये पैसा भेजते थे.
सूत्रों ने बताया किआरोपियों में बलराम सिंह, भागवेंद्र सिंह, सुनील सिंह, शुभम तिवारी औरएक अन्य हैं।इसके पहले भी बलराम को भोपाल एटीएस ने 8 फरवरी 2017 को गिरफ्तार किया था। वहीं, भागवेंद्र को इंदौर एसटीएस ने गिरफ्तार किया था। सुनील2014 से देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय था,लेकिन एटीएस उसे पकड़ नहीं पाई।
17 पाकिस्तानी नंबर मिले:-
सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों के पास से फोन और लैपटॉप बरामद किया गया है।उनके पास17 पाकिस्तानी नंबर मिले।ये लोग आतंकियों के फंड मैनेजर से वीडियो-मैसेंजर कॉल और वॉट्सऐप चैटिंग करते थे। 2017 में गिरफ्तारी के बाद बलराम जमानत पर बाहर आया था और वह फिर से टेरर फंडिंग का काम करने लगा।
बताया जा रहा है कि वो पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से बात करते थे। फिर बैंक खातों में पैसा जमा कराकर उसे आतंकियों तक पहुंचाते थे। बताया जा रहा है कि आरोपी बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से जुड़े संदिग्ध लोगों को बैंक खातों और हवाला के जरिए कमीशन बेस पर पैसे ट्रांसफर करते थे।