नई दिल्ली, एजेंसी। उपभोक्ता आयोग ने ट्रेन में चोरी के एक मामले में रेलवे को पीड़ित यात्री को 2.37 लाख रुपये चुकाने का निर्देश दिया है। छत्तीसगढ़ निवासी एक महिला यात्री के साथ 2013 में ट्रेन में चोरी की घटना हुई थी, जिसकी शिकायत के बावजूद कोई जांच नहीं कराई गई। राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने इस मामले में पश्चिम रेलवे से कहा है कि वह पीड़ित यात्री राजू देवी सूर्यवंशी को अवॉर्ड राशि पर छह प्रतिशत ब्याज भी बतौर मुआवजा भुगतान करे।
राजू देवी सूर्यवंशी अपने परिवार के साथ एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गोवा से रतलाम आ रही थीं, तभी चलती ट्रेन में उनका पर्स और पैसे चोरी हो गए थे। आयोग ने इस बात का संज्ञान लिया कि सूर्यवंशी परिवार ने टीटीई से मौखिक शिकायत की और औपचारिक रूप से एफआईआर भी दर्ज कराई, इसके बावजूद रेलवे ने चोरी की कोई जांच नहीं कराई।
रेलवे ने नहीं कराई कोई जांच:-
एनसीडीआरसी अध्यक्ष आरके अग्रवाल तथा सदस्य एम. श्रीश ने अपने आदेश में कहा, 'इसका उल्लेख करना उचित है कि टीटीई से मौखिक शिकायत की गई, लेकिन उसकी कोई जांच नहीं हुई। चलती ट्रेन में हुई चोरी की इस घटना की औपचारिक तौर पर एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी रेलवे ने कोई जांच नहीं कराई। इसलिए निचले दोनों फोरम के निष्कर्षो में हस्तक्षेप का हमें कोई कारण नहीं मिलता है।'
रेलवे की तरफ से सेवा में त्रुटि का मामला:-
सूर्यवंशी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, वह एक पारिवारिक कार्यक्रम के लिए 16 जुलाई, 2013 को अपने परिवार के साथ रतलाम आ रही थीं। अगले दिन उन्होंने पाया कि उनका पर्स, जिसमें सोने-चांदी के गहने थे, गायब हैं। तकिए के नीचे एक अन्य पर्स में 20 हजार रुपये था, वह भी गुम था। शिकायत में कहा गया कि सूर्यवंशी तथा उनका परिवार आरक्षित कोच में यात्रा कर रहा था, लेकिन कोच में अनधिकृत व्यक्तियों को चढ़ने देने की वजह से चोरी की घटना हुई, जो रेलवे की तरफ से सेवा में त्रुटि का मामला है।
निचले दोनों उपभोक्ता फोरम ने सूर्यवंशी की शिकायत स्वीकार करते हुए रेलवे को आदेश दिया कि नकदी समेत चोरी गए अन्य सामानों के कुल मूल्य 2.37 लाख रपए 12 फीसदी ब्याज के साथ पीड़िता को भुगतान करे। हालांकि, एनसीडीआरसी ने ब्याज की दर 12 से घटाकर 6 फीसदी कर दी है।