जयपुर (राजस्थान).महिलाओं के दर्द की सबसे बड़ी दवा सेनेट्री नैपकिन भी सुरक्षित नहीं है। आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान जिस सेनेट्री पैड को सुरक्षित मानकर इस्तेमाल कर रही हैं उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में पीएच (पॉवर ऑफ हाइड्रोजन) और सिंथेटिक तत्व मौजूद हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि गांव-देहात में अस्पतालों के बाहर चाय की थड़ियों पर ऐसे कई अनब्रांडेड पैड्स बिकते हैं, जो तय मानकों के अनुसार असुरक्षित हैं। कम कीमत और आसानी से मिल जाने के कारण ऐसे पैड्स की बिक्री ही अधिक है।
कह सकते हैं कि पैड्स की कुल बिक्री में इन अनब्रांडेड पैड्स का हिस्सा 75 फीसदी तक है। सरकार ने इसे अछूत मानकर कभी जांच कराने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में भास्कर ने पहली बार बाजार में बिक रहे सेनेट्री नैपकिन की सरकार से मान्यता प्राप्त जयपुर की अत्याधुनिक लेब्रोरेट्री सीईजी टेस्ट हाउस में जांच कराई। 20 विभिन्न ब्रांड के सेनेट्री नैपकिन में से 11 सेनेट्री नैपकिन 39 साल पहले बनाए गए तय मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें किसी में पीएच तय मानकों से बहुत ज्यादा मिली तो किसी की लंबाई और मोटाई कम मिली। ज्यादा पीएच उसमें क्षार को बढ़ा देता है जो किसी भी स्वस्थ महिला को यूरिन इंफेक्शन और गर्भाशय कैंसर जैसी बीमारियां दे सकता है।
अस्पतालों के बाहर थड़ियों पर बिकतेे घटिया पैड्स- मानकों पर फेल पाए गए सेनेट्री पैड्स महिलाओं के लिए कैंसर तक का खतरा क्याें?
सही क्या..?- पीएच होना चाहिए 7, अधिक हो तो इंफेक्शन और कैंसर तक का खतरा:-
पॉवर ऑफ हाइड्रोजन यानि पीएच एसिड और बेस का संतुलन बनाए रखता है। एसिड और बेस कितना है यह जानने के लिए पीएच स्केल 0 से 14 तक के पैमाने पर मापा जाता है जिसमें 7 तक का पीएच सामान्य है। 7 से ज्यादा पीएच यूरिनल इंफेक्शन से लेकर कैंसर तक का कारण बन सकता है।
क्यों खतरा..?-न निगरानी, न मानक, बस सस्ते हैं इसलिए ज्यादा बिकते घटिया पैड्स:-
जयपुर में अधिकांश मेडिकल स्टोर जो पैड्स नहीं बेचते वे ग्रामीण क्षेत्रों अौर महिला अस्पतालों के बाहर चाय-बिस्किट की दुकानों पर बेचे जा रहे हैं। भास्कर ने यहीं से सैंपल लिए। इनकी बिक्री बहुत अधिक है। न डॉक्टर नजर रखते हैं न सरकारी विभाग। बिक्री का कोई मानक भी नहीं।
मिला क्या...?-20 कंपनियों के पैड्स की जांच, 3 में पीएच ज्यादा, 2 के साइज ही गलत:-
भास्कर ने 20 कंपनियों के सेनेट्री पैड्स की सीईजी टेस्ट हाउस से जांच कराई, 11 के प्रोडक्ट पर तो बैच नंबर ही नहीं था। 3 के पैड्स में पीएच 8.9 (मानक 7) तक पाया गया। 2 के साइज निर्धारित से अलग थे। डॉक्टरों ने इन पैड्स को महिलाओं के लिए बड़ा खतरा माना है।
नकारा नियम-जरूरत बदली, महिलाओं के शरीर भी, नहीं बदले 39 साल पुराने नियम:-
सेनेट्री पैड्स के 1980 में तय हुए मानकों के अनुसार तो सारे पैड्स पास हो जाएंगे। तब पैड्स में सोंखने की क्षमता 30 एमएल ही रखी गई है जबकि डॉक्टरों के मुताबिक यह न्यूनमत 50 एमएल होनी चाहिए। पीएच और सिंथेटिक भी 8.5 की जगह 6-7 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
ये पैड्स जांच में मिले खतरनाक:-
फ्री फ्रीडम, एक्सट्रा केयर च्वाइस, वू-वू, शे फ्री सिक्योर, लाइफ केयर, हस च्वाइस, निर्भया, एक्सट्रा केयर च्वाइस, क्रिस्टल केयर मैक्सी, मैक्सी, के-टेक्स, अनिबुर, स्टेफ्री, व्हिस्पर, जनऔषधि सुविधा, राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन, हैप्पी डेज, फील फ्रीडम।
एनिबुर : पीएच 1.59 अधिक-नसीबदार इंटरनेशनल कंपनी निर्मित एनिबर सेनेट्री नैपकिन के बैच नंबर 180728 की जांच में पीएच 8.59 मिली। मानक 7 ही होना चाहिए।
के-टेक्स:-
लंबाई 15 मिमी कम-सबसे कम लंबाई इसी सेनेट्री नेपकिन की मिली। मानक लंबाई 240 एमएम है पर इसकी लंबाई महज 225 एमएम मिली। पीएच लेवल सही था।
एक्सटरा केयरच्वाइस : 1.67 +
दो सैंपल की जांच। एक सही मिला, दूसरे में पीएच की मात्रा 8.67 मिली जो निर्धारित क्षमता से ज्यादा है। दोनों ही सैंपल पर बैच नंबर नहीं लिखा था।
फील फ्रिडम : पीएच 1.79 +
पीएच की मात्रा 8.79 पाई गई जो निर्धारित मात्रा से काफी ज्यादा है। यह मात्रा किसी भी स्वस्थ महिला को बीमार बना सकती है।
क्रिस्टल केयर मैक्सी : मोटाई कम:-
बैच नंबर सीसीएम -01 वाली इस सेनेट्री नैपकिन की जांच में पीएच की मात्रा िनर्धारित से 0.6% ज्यादा मिली। मोटाई भी अन्य के मुकाबले कम थी।
वू-वू : लंबाई 4 मिमी कम:-
लेबल पर लंबाई 240 एमएम। जांच में लंबाई 236 एमएम पाई गई। इस पर किसी तरह का बैच नंबर भी नहीं लिखा गया है, जो कानूनन गलत है।
ज्यादा एसिड और बेस से यूट्रस या ब्लैडर कैंसर संभव:-
स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम बापना ने बताया किसेनेट्री पैड में बेस और एसिड की ज्यादा मात्रा रेशेज, यूरिनल इंफेक्शन और आगे चलकर यूट्रस या ब्लैडर कैंसर का कारण बन सकती है। सिंथेटिक और एसिड वाली पैड की जगह कॉटन से बने पैड का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
दवा श्रेणी में नहीं आते पैड्स:-
ड्रग कंट्रोलरअजय पाठक ने बताया कि पैड्स दवा नहीं है इसलिए इनपर बीआईएस स्टैंडर्ड लागू होते हैं। इसलिए सरकार जांच नहीं करती। बीआईएस स्टैंडर्ड के तहत कंपनी को लाइसेंस जरूरी नहीं। पैड्स की कभी जांच हुई हो, मुझे नहीं पता।
कंपनी का जवाब : हमारे पास सरकार की टेस्टिंग रिपोर्ट है:-
एनिबुर सेनेट्री नैपकिनसैल्स जीएम ने यशपाल बताया किहमारे पास सरकार और नेशनल टेस्टिंग रिपोर्ट हैं। इसमें काम आने वाला पल्प यूएस से आयात करते हैं, अभी तक कोई कंप्लेंट नहीं आई। वैसे इसे हम नहीं बनाते हैं, हमें तो डीलर सप्लाई करता है। सरकार को भी यही सप्लाई जाती है।