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Thursday, September 26, 2019

शमशान घाट जाने से आखिर महिलाओं को क्यों किया जाता है मना, जानें कारण

भोपाल। हिंदू धर्म में कई ऐसे काम होते हैं जिन्हें केवल कोई पुरुष ही निभा सकता है, उस काम को कोई महिलाएं नहीं कर सकती. ऐसा ही कुछ नजारा आपने शव यात्रा के दौरान जरूर देखा होगा. आपने बहुत से लोगों को शव यात्रा में जाते हुए देखा होगा, लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि शव यात्रा में केवल पुरुष ही होते हैं महिलाएं नहीं होती हैं. आखिर ऐसा होता क्यों है क्या आपको इस बारे में जानकारी है अगर नहीं है तो जानिए.
हो सकता है कि शायद यह बात आपको हजम ना हो पाए लेकिन यह हकीकत है. प्राचीन हिंदू शास्त्रों में महिलाओं को काफी ज्यादा आजादी दी गई है और इन्हीं ग्रंथों में यह कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ कि महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए या फिर महिला को मृतक परिजन का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए, लेकिन इस सब के बावजूद भी महिलाओं को अंतिम संस्कार के समय श्मशान घाट जाने से रोक दिया जाता है. इस सब के पीछे कुछ अलग ही तर्क दिए जाते हैं, जिनके बारे में जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे.
दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारे समाज में महिलाओं को बेहद कोमल हृदय का माना जाता है. महिलाओं को लेकर कहा जाता है कि वह किसी भी बात पर सहज ही डर सकती हैं. असल में अंतिम संस्कार के समय मृत व्यक्ति का शरीर अकड़ने लगता है. जिसकी वजह से कई बार वहाँ कई अजीबोगरीब आवाज आने लगती है. इस कारण महिलाओं को वहाँ काफी ज्यादा डर लग सकता है.
वही श्मशान में जब मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है उस समय वहां शोक का माहौल होता है. उस समय लोग रोते हैं जिसका सीधा असर महिलाओं और छोटे बच्चों के मन पर पड़ सकता है, इसलिए उन्हें श्मशान घाट में जाने की मनाही है. समाज में तेजी के साथ प्रचलित हुई इन्हीं मान्यताओं की वजह से महिलाओं और छोटे बच्चों का श्मशान घाट में जाना वर्जित कर दिया गया है.
वहीं इसी सब को लेकर मान्यता यह भी है कि किसी के भी मरने से घर अशुद्ध हो जाता है, इसलिए जब मृतक के शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाया जाता है तो उस समय घर की महिलाओं की यह जिम्मेदारी होती है कि वह पीछे से घर को संभाले और घर की धार्मिक रूप से साफ सफाई करें. यदि महिलाएं श्मशान घाट जाएंगी तो यह क्रिया पूरी नहीं हो पाएगी.
जानिए क्या है साइंटिफिक कारण:-
जब श्मशान घाट में मृतक के शव को जलाया जाता है तो उस दौरान मृतक के शरीर से निकलने वाले कीटाणु वह आस-पास मौजूद लोगों के शरीर में चले जाते हैं. इसी वजह से शमशान से वापस लौटने के बाद सबसे पहले स्नान ही किया जाता है. वही माना यह भी जाता है कि आदमियों के बाल छोटे-छोटे होते हैं इसी वजह से यह कीटाणु उनके शरीर से स्नान करने के दौरान आसानी से निकल जाते हैं, लेकिन वहीं महिलाओं के बाल काफी लंबे होते हैं इसलिए उनके शरीर से यह कीटाणु स्नान करने के बाद भी नहीं निकल पाते हैं.