भोपाल, एआइएनएस। मध्य प्रदेश के हनी ट्रैप मामले में रोजाना नए नए खुलासे हो रहे हैं। एसआइटी (Special Investigation Team, SIT) की जांच में खुलासा हुआ है कि शिकार बनने वाले ओहदेदार अधिकारियों और नेताओं से करोड़ों रुपये की रकम ब्लैकमेल के जरिए वसूली गई। यह रकम दो महिलाओं द्वारा वसूली गई थी। हनी ट्रैप रैकेट की कथित मास्टर माइंड स्वेता जैन ने इस रकम से दो निजी कंपनियां खोलीं। जांच में यह भी पाया गया है कि ये कंपनियां इसी साल महज छह महीने से भी कम समय में खोली गईं।
सूत्रों के मुताबिक, उक्त दो कंपनियों में से एक की निदेशक आरती दयाल है। आरोप है कि आरती दयाल ने ही कॉलेज की लड़कियों को वीआईपी के साथ हम-बिस्तर होने के लिए मजबूर किया था। इस कंपनी प्रबंध निदेशक स्वेता जैन है। बता दें कि देश के सबसे बड़ा स्कैंडल माने जा रहे इस वारदात का खुलासा इसी साल 19 जनवरी को हुआ था। इस मामले की जांच के लिए एसआईसी का गठन किया गया है। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री जीतू पटवारी की मानें तो सरकार इस मामले की तह तक जांच कराना चाहती है।
जांच में पाया गया है कि स्वेता जैन रियल एस्टेट में एंट्री लेते हुए एक कंस्ट्रक्शन कंपनी दीप्तिमंथम एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड (Deepthimantham Enterprise Pvt Limited) बनाई। इस कंपनी ने कुछ आईएएस अधिकारियों की अनुकंपा से बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट भी हासिल किए। यही नहीं छह महीने बाद 26 जुलाई को स्वेता जैन ने सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर से संबंधित कॉन्ट्रैक्टों के लिए कथित तौर पर एक और कंपनी बनाई। इस कंपनी में आरती दयाल निदेशक बनाया गया जबकि स्वेता जैन प्रबंध निदेशक पद की जिम्मेदारी संभाली।
समाचार एजेंसी आइएएनएस ने जांच के हवाले से बताया है कि श्वेता जैन की दोस्त और स्कैंडल में सहयोगी बरखा सोनी ने एक एनजीओ समर्थ समाज सेवा संस्थान (Samarth Samajik Seva Sanstha Samiti) बनाया ताकि हनी ट्रैप में उगाही की गई रकम को कथित तौर पर सुरक्षित किया जा सके। आइएएनएस की सनसनीखेज रिपोर्ट में कहा गया है कि श्वेता नेताओं को साधने में लगी थी तो दूसरी ओर बरखा का नई दिल्ली के एक पार्टी मुख्यालय में लगातार आना जाना रहा। यही नहीं बरखा की फेसबुक वॉल भी दिग्गज नेताओं की तस्वीरों से भरी पड़ी है।