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Tuesday, October 29, 2019

क्‍यों मनाते हैं भैया दूज का त्योहार, जाने क्या है मान्यता, इस दिन भाई-बहन क्या करें और क्या न करें

भाई दूज भाई-बहन के प्रेम और मजबूत संबंध का त्योहार है. इस बार भाई दूज 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इस दिन बहनें, भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी आरती उतारती हैं. साथ ही अपने भाइयों के उज्जवल भविष्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं. दिवाली के दो दिन बाद आने वाले इस त्‍योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन मृत्‍यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है. आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है भैया दूज और इस दिन क्या-क्या करना चाहिए.
क्‍यों मनाया जाता है भैया दूज:-
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करे. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहते थे. फिर कार्तिक शुक्ल का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.
यमुना ने भाई यम को भोजन कराया:-
इस पर यमराज ने सोचा, 'मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.' बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भाई को भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.
भाइयों को यम का भय नहीं रहता:-
यमुना ने कहा, 'भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करेगी, उसे तुम्हारा भय न रहेगा.' यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विदा लिया. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.
भैया दूज पर क्‍या करें:-
>>भैया दूज के दिन नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें. इस दिन बहनें नए कपड़े पहनती हैं.
>>इसके बाद अक्षत (ध्‍यान रहे कि चावल खंडित न हों) कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं.
>>अब भाई की लंबी उम्र और कल्‍याण की कामना के साथ व्रत का संकल्प लें.
>>अब विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें.
>>यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करें.
>>अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें.
>>इस मौके पर भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार या भेंट देनी चाहिए.
>>पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है.
>>पूजा संपन्‍न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें.
क्या न करें:-
शास्त्रानुसार आज के दिन जो भाई अपने घर पर ही भोजन करता है उसे दोष लगता है. यदि बहन के घर जाना सम्भव ना हो सके तो किसी नदी के तट या गाय को अपनी बहन मानकर उसके समीप जाकर भोजन करें.
>>भाई दूज पर किसी भी बहन को अपने भाई से झगड़ा नहीं करना चाहिए और न हीं किसी भाई को अपनी बहन से झगड़ा करना चाहिए.
>>भाई दूज के दिन बहन के बनाए गए भोजन का निरादर नहीं करना चाहिए.
>>भाई दूज पर बहन को अपने भाई के उपहार को निरादर नहीं करना चाहिए.
>>भाई दूज के दिन अपनी बहन से झूठ बिल्कुल भी न बोलें. ऐसा करने से आपको यमराज के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है.
>>भाई दूज के दिन मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें.
>>भाई दूज के दिन बहनों को भाई का तिलक करने से पहले कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. भाई दूज पर बहनों को अपने भाई का पसंद का ही खाना बनाना चाहिए.
>>भाई दूज पर अपने भाई का तिलक करके उसे सबसे पहले मीठा खिलाएं. साथ में गोला देना भी न भूलें.