छतरपुर. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में मंगलवार को जन सुनवाई आयोजित की गई। इस दौरान कलेक्ट्रेट में एक महिला ने इच्छामृत्यु की मांग की। इच्छामृत्यु की मांग का आवेदन देखकर कलेक्टर चौंक पड़े और उस महिला से मिलने जा पहुंचे जिसने इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन दिया था। राजनगर निवासी आदिवासी युवती केशकला ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए आवेदन किया था लेकिन उसका चयन नहीं हुआ जिस कारण इच्छा मृत्यु चाहती हूं। कलेक्टर मोहित बुंदस काम छोड़कर कलेक्ट्रेट परिसर में उस महिला के सामने पहुंचे और उसे अपने संघर्षों की कहानी सुनाई। कलेक्टर की कहानी सुन युवती ने इच्छामृत्यु का विचार छोड़ दिया।
बचपन में पिता का हो गया था निधन:-
कलेक्टर मोहित बुंदस ने केशकला को अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा- जब मैं 10 साल का था तब मेरे पिताजी गुजर गये थे। इसके बाद उनकी मां ने बहुत कठिनाइयों से हम भाई-बहनों का पालन-पोषण किया। मैंने आइएस बनने के लिए संघर्ष किया और आज आइएस हूं। अगर मेरी मां सोच लेती कि मेरे पति नहीं हैं, मैं बच्चों का पालन-पोषण कैसे करूं अगर मेरी मां हार मानकर बैठ जाती तो क्या आज मैं आईएएस होता। उन्होंने संघर्ष किया और मुझे उसका फल मिला।
सड़क हादसे में भाई को खोया:-
कलेक्टर मोहित बुंदस के बड़े भाई की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, अभी उनका परिवार इस हादसे से उबर भी नहीं पाया था कि पिताजी का अचानक निधन हो गया। इसके बाद भी मां ने हम सबको संभाला। मां के साथ-साथ पिता का फर्ज भी निभाया और मेरी परवरिश करके पढ़ा-लिखाकर मुझे 21 साल की उम्र में आईपीएस बना दिया। इसके बाद मैंने मां की इच्छा को पूरा करने आईएएस बनाया। मेरे लिए मेरी मां भगवान है। भगवान हर कहीं नहीं पहुंच पाता, शायद इसलिए उसने मां को बनाया है।
मेरी मां मेरे लिए भगवान है:-
मैं हर दिन की शुरुआत अपनी मां का ममता भरा चेहरा देखकर करता हूं। यह कहना है छतरपुर के कलेक्टर मोहित बुंदस का। 21 साल की उम्र में आइपीएस बनने वाले बुंदस जयपुर के निवासी हैं। वे मां के कारण ही खुद के इस मुकाम पर होना मानते हैं। बुंदस वर्ष 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के पहले 18 दिसंबर 2006 से 24 अगस्त 2011 तक झारखंड कैडर में आइपीएस थे। इसके बाद इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में मध्य प्रदेश कैडर आवंटित हुआ।
मां के बिना नहीं रह सकता:-
कलेक्टर मोहित बुंदस के अनुसार, मैं मां के बिना नहीं रह पाता, इसलिए वह हर पल साथ होती हैं। आज भी मां उनके साथ रहती हैं। मां को देखकर ही वे अपने दिन की शुरुआत करते हैं। भगवान के पहले मां को ही देखते हैं। बुंदस के अनुसार मां उनका बहुत अधिक ख्याल रखती है।