नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर नाबालिगों के पोर्न वीडियो देखने या उन्हें फारवर्ड करने वाले सावधान रहें। ऐसा करना संगीन अपराध है। दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने इसी आरोप में 61 साल के बुजुर्ग समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से वारदात में इस्तेमाल मोबाइल व अन्य डिवाइस भी बरामद की गई हैं। पुलिस के मुताबिक, नाबालिगों के अश्लील वीडियो देखना, फारवर्ड करना और यहां तक कि इंटरनेट पर ब्राउज तक करना अपराध की श्रेणी में है। आरोपियों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्स ऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इन वीडियो को शेयर किया था। पुलिस ने इन्हें एक दिन के रिमांड पर लिया है।
साइबर क्राइम यूनिट के पुलिस उपायुक्त अनीश रॉय ने बताया कि सीएसएएम (चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटेरियल) सोशल मीडिया पर भेजने के आरोप में साइबर क्राइम यूनिट ने पिछले दिनों काफी मुकदमे दर्ज किए थे। छानबीन के बाद पुलिस ने जहांगीरपुरी निवासी संजू राठौड़ (25), बिजवासन निवासी अमित मंडल (24), बदरपुर निवासी नरेंद्र कुमार (22), टैगोर गार्डन निवासी रेवतीनंद आनंद (34), कोटला मुबारकपुर निवासी सुदामा राम (29) और पीतमपुरा निवासी लोकराज यजुर्वेदी (61) को गिरफ्तार किया। इनके पास से मोबाइल, वारदात में इस्तेमाल सिम कार्ड व अन्य चीजें बरामद की गईं।
इन्होंने पूछताछ में बताया कि नाबालिगों के अश्लील वीडियो इन्हें विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से मिले थे। इन्होंने ये वीडियो अलग-अलग ग्रुप और अन्य लोगों को भेज दिए। सोशल मीडिया पर निगरानी के दौरान ये पकड़ में आए। इसके बाद मामला दर्ज कर इनको गिरफ्तार किया गया।
नरेंद्र एक कॉलेज में इंजीनियरिंग थर्ड ईयर का छात्र है। संजू आजादपुर सब्जी मंडी में मजदूरी करता है। अमित गुरुग्राम में एक निजी कंपनी में काम करता है। सुदामा एक कंपनी में कैशियर है। वहीं रवि नंदन लेडीज टेलर है। आरोपी लोकराज पहले रेडक्रॉस में काम करता था। फिलहाल वह अपनी परचून की दुकान चलाता है। लोकराज ने कबूला कि उसने कई नाबालिगों के अश्लील वीडियो शेयर किए हैं। आरोपी ने फेसबुक पर खुद को 19 साल का युवक बताते हुए फर्जी आईडी बना रखी थी। इसे वह गलत करतूतों के लिए इस्तेमाल करता था।
एनसीआरबी और एनसीएमईसी में एमओयू
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉएटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत एनसीएमईसी नाबालिगों के अश्लील वीडियो या अन्य सामग्री को सोशल मीडिया पर डालने वालों की जानकारी देगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था। दिल्ली में इस तरह के साइबर अपराधों के लिए साइबर क्राइम यूनिट नोडल एजेंसी है। इसलिए पुलिस ने इस संबंध में मामले दर्ज किए।
पुलिस ने इन सभी मामलों में आईटी एक्ट की धारा 67 बी के तहत मामले दर्ज किए। इस धारा में कठोर कारावास और लाखों रुपये जुर्माने का प्रावधान है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वह ऐसे वीडियो देखने, सर्च करने और फारवर्ड करने से बचें। गलती से उनके पास ऐसे वीडियो आ भी जाएं तो फौरन उनको डिलीट कर दें।