पलारी/बालौद बाजार/(छत्तीसगढ़)। मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर ग्राम रोहांसी में पिछले सात दिनों से 17 हाथियों का दल अंगद की पैर की तरह जमे हुए हैं। शुक्रवार की शाम को वन विभाग और ग्रामीणों के बीच बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि दोनों के संयुक्त प्रयास से शनिवार को किसी भी तरह गजदल को भगाया जाएगा। शनिवार सुबह 10 बजे से वन विभाग का अमला, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट, पुलिस प्रशासन और छह से सात सौ ग्रामीणों की संयुक्त टीम हाथी भागने सागौन के जंगल में पटाखे, मिर्च पाउडर, मशालें, ढोल-नगाड़ों के साथ घुसकर भगाने का प्रयास किया परंतु हाथियों ने पहले ही उन पर हमला कर दिया।
जिससे सारे लोग डरकर अपनी जान बचाने इधर-उधर भागने लगे। सबसे पहले पलारी तहसीलदार हरिशंकर पैकरा, पटवारी प्रकाश बंजारे और कुछ ग्रामीण थे जिनको हाथियों ने दूर तक दौड़ाया। वे किसी भी तरह अपनी जान बचाकर भागे जिससे किसी का मोबाइल, पर्स, जूता, चप्पल और जेब में रखे जरूरी सामान गिर गए।
उसके बाद कुछ वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों को भी हाथियों ने दौड़ाया जिससे वे भी भागने लगे। दो-तीन लोग भागते हुए इतने थक गए थे कि वे जंगल में ही बैठ गए।
हाथियों के वापस चले जाने से उनकी जान बच गई। शाम होने पर रेंजर राकेश चौबे वाइल्डलाइफ की टीम के साथ हाथियों की स्थिति का जायजा लेने सागौन के जंगल में फिर घुसे। उनको हाथियों की सही स्थिति की जानकारी तो मिली परंतु हाथियों ने उनको देख लिया और दौड़ाया।
वे भी किसी तरह अपनी जान बचा कर वापस लौटे। इस तरह हाथियों को भगाने का प्रयास असफल रहा। आज बार-बार ग्रामीणों और वन विभाग की उपस्थिति से हाथी बुरी तरह भड़क गए थे। लोगों की किस्मत ने उनको बचा लिया नहीं तो आज जनहानि हो सकती थी।
खाने के लिए धान और पानी के लिए नहर:-
रोहांसी के सागौन नर्सरी में हाथियों को रहने के लिए अनुकूल वातावरण मिल गया है क्योंकि वहां ग्रामीणों का दखल नहीं हो पा रहा है। हाथी अभी रोहांसी-खरतोरा मार्ग से एक किलोमीटर घने बांस के जंगल में हैं। पहले सागौन का बगीचा उसके पश्चात बांस का घना झुरमुट है जिससे कोई भी ग्रामीण उनको परेशान नहीं कर पा रहा और वे भी बड़े आराम से रह रहे हैं। खाने के लिए रात होते ही जंगल से लगा खेत है जहां अपनी भूख मिटाते हैं। वहीं पानी से भरा नहर है जिसमें पर्याप्त पानी भी मिल रहा है।
ग्रामीणों की उड़ी नींद:-
हाथियों द्वारा सागौन के नर्सरी में जम जाने से रोहांसी के ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है। सात दिनों से रोहांसी के ग्रामीण लगातार अलग-अलग तरह से प्रयास कर रहे हैं जिससे हाथी भाग जाए परंतु अभी तक सफलता नहीं मिली है।
विभाग द्वारा आज के प्रयास से ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों ने वन विभाग पर उंगली उठाते हुए कहा कि वन विभाग की टीम द्वारा ग्रामीणों को पूरी जानकारी नहीं दी गई, उनको सिर्फ अपने पीछे-पीछे आने को कहा और जब जंगल में घुसे तो विभाग के लोग नदारद हो गए। वे पूरी तैयारी के साथ नहीं गए थे। उनकी लापरवाही के कारण किसी भी ग्रामीण की जान जा सकती थी।
>>आज के रेस्क्यू के संबंध में जिलाधीश से निर्देश मिलने पर वे आए थे और वन विभाग व ग्रामीणों के सहयोग से हाथी भागने गए परंतु हाथियों द्वारा हमला कर देने पर जान बचाकर भागना पड़ा।
-हरिशंकर पैकरा, तहसीलदार-
>>वनविभाग ग्रामीणों के सहयोग से हाथी भागने के लिए पूरी मुस्तैदी से साजो सामान के साथ जंगल में घुसा था। जंगल के चारों तरफ तंबाखू, मिर्च और तेल से मसालें बनाकर धुआं फैलाया गया जो पूरी तरह से जंगल में फैल गया है। जिससे हाथी रात्रि को जंगल से निकल सकते हैं। अगर सुबह तक जंगल से नहीं निकले तो रविवार को फिर से पूरी तैयारी के साथ हाथियों को भगाने का प्रयास किया जाएगा।
-राकेश चौबे, रेंजर बलौदाबाजार-