नई दिल्ली. तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (Hyderabad) में एक डॉक्टर की गैंगरेप (Gangrape) के बाद हत्या (Murder) कर दी. इसके बाद आरोपी उनके शव को ट्रक में डालकर घूमते रहे. फिर सुनसान जगह देखकर शव को आग के हवाले कर दिया. वहीं, झारखंड की राजधानी रांची (Ranchi) में एक स्टूडेंट को अगवा कर आरोपियों ने पहले कॉल कर अपने 10 दोस्तों को बुलाया. फिर उसका बारी-बारी से गैंगरेप किया. इसके बाद छात्रा को वहीं छोड़ गए जहां से किडनैप किया था. इन दोनों घटनाओं से स्पष्ट है कि आरोपियों को कानून का कोई डर नहीं था. साथ ही दोनों घटनाओं ने महिला सुरक्षा (Women Safety) को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.
पिछले कुछ साल के दौरान भारत में रेप की ऐसी घटनाएं भी हुईंं, जिनसे भारत को दुनिया भर में शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. जम्मू-कश्मीर के कठुआ रेप केस के बाद तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की तत्कालीन अध्यक्ष क्रिस्टिन लैगार्डे (Christine Lagarde) को कहना पड़ा था कि भारत सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में अगस्त 2019 में पोस्ट ऑफिस कर्मी ने स्टूडेंट की दो बार रेप करने के बाद सिर कुचलकर हत्या कर दी थी. हाल में उसे कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.
यौन हिंसा किसी एक देश की महिलाओं की समस्या नहीं है. पूरी दुनिया की महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं. अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और ब्रिटेन जैसे सबसे विकसित देशों में रेप की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं. दुनिया भर में करीब 36 फीसदी महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार बनी हैं. अमेरिका में 12 से 16 साल की 83 फीसदी लड़कियों का किसी ना किसी रूप में यौन उत्पीड़न किया गया है. इंग्लैंड में हर 5 में एक महिला किसी न किसी रूप में यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. दक्षिण अफ्रीका रेप की घटनाओं के मामले में दुनिया में सबसे ऊपर है. यहां हर दिन औसतन 1400 रेप की घटनाएं होती हैं. इनमें करीब 20 फीसदी घटनाओं में पुरुष भी शिकार बनते हैं.
दक्षिण अफ्रीका में हर साल होती हैं 5 लाख रेप की घटनाएं:-
दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में हर साल 5,00,000 रेप की घटनाएं होती हैं. इस आंकड़े के साथ अफ्रीका दुनिया में रेप की घटनाओं के मामले में सबसे ऊपर है. दक्षिण अफ्रीका की 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार रेप की शिकार होती हैं. अफ्रीकी मेडिकल रिसर्च काउंसिल के अनुमान के मुताबिक, हर 9 में केवल 1 महिला रेप की रिपोर्ट दर्ज कराती है. दक्षिण अफ्रीका में ज्यादातर यौन हिंसा की घटनाएं महिलाओं के खिलाफ हैं, लेकिन पुरुषों और बच्चों के साथ भी यौन शोषण के मामले कम नहीं हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, 4 फीसदी से ज्यादा पुरुषों को दूसरे पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया. दक्षिण अफ्रीकी पुलिस के अनुसार, 41 फीसदी बच्चे रेप के शिकार होते हैं. रेप पीड़ितों में करीब 15 फीदी बच्चे 11 साल से कम उम्र के हैं. दक्षिण अफ्रीका के टीयर्स फाउंडेशन और मेडिकल रिसर्च काउंसिल के मुताबिक, 18 वर्ष की आयु से कम आयु के 50 फीसदी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. एक रिपार्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में करीब 20 फीसदी पुरुष रेप के शिकार बने हैं.
स्वीडन में रेप के मामलों में दर्ज हुई 1472 फीसदी वृद्धि:-
स्वीडन (Sweden) दूसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा रेप के मामले सामने आए हैं. स्वीडन में हर चार में से एक महिला रेप की शिकार हुई है. स्वीडन की पुलिस ने 1975 में 421 रेप के मामले दर्ज किए. साल 2014 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 6,620 हो गई यानी स्वीडन में रेप की घटनाओं में 1472 फीसदी की वृद्धि हुई. इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्वीडन महिलाओं के लिए खतरनाक देश है. पूरे यूरोप में स्वीडन में रेप की दर सबसे अधिक है. स्वीडिश नेशनल काउंसिल फॉर क्राइम प्रिवेंशन के अनुसार, स्वीडन पुलिस ने 2013 में हर 100,000 लोगों पर 63 रेप के मामले दर्ज किए थे. स्वीडन में बलात्कार के मामलों पर काम करने वाले वकीलों का कहना है कि तीन में से एक स्वीडिश महिला का यौन उत्पीड़न बचपन में ही हो जाता है.
अमेरिका में:-
जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी के वर्ल्डवाइड सेक्शुअल असॉल्ट स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, हर तीन में एक अमेरिकी (US) महिला का पूरे जीवन में कम से कम एक बार यौन शोषण किया गया था. वहीं, करीब 19.3 फीसदी महिलाओं और 2 फीसदी पुरुषों का उनके जीवन में कम से कम एक बार रेप हुआ था. अमेरिका में करीब 43.9 फीसदी महिलाओं और 23.4 फीसदी पुरुषों ने अपने जीवनकाल में यौन हिंसा को किसी न किसी रूप में अनुभव किया था. यूएस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 79 फीसदी अमेरिकी नागरिकों का रेप 25 साल की उम्र से पहले ही हो गया था. वहीं, 40 फीसदी लोग 18 साल की उम्र से पहले ही यौन शोषण के शिकार बन गए थे. एक अन्य रिपार्ट के अनुसार, अमरिका में हर 107 सेकंड यानी करीब डेढ़ मिनट में यौन उत्पीड़न की एक घटना होती है. हर साल औसतन 293,000 लोग यौन उत्पीड़न के शिकार होते हैं. वहीं, 68 फीसदी यौन हमलों की जानकारी पुलिस को नहीं दी जाती है. सजा की दर के मामले में अमेरिका की स्थिति भी खराब है. वहां 98 फीसदी मामलों में रेप आरोपी एक भी दिन जेल में नहीं बिताते हैं.
भारत में हर 6 घंटे में एक महिला बन जाती है रेप का शिकार:-
भारत (India) के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2010 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी वृद्धि हुई है. साल 2012 के दौरान देश में 24,923 मामले दर्ज हुए, जो 2013 में बढ़कर 33,707 हो गई. रेप पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी. हर तीसरे पीड़ित की उम्र 18 साल से कम है. वहीं, 10 में एक पीड़ित की उम्र 14 साल से भी कम है. भारत में हर छह घंटे में एक लड़की का रेप हो जाता है. महिलाओं के साथ रेप के मामले में 4,882 की संख्या के साथ 2017 में मध्य प्रदेश सबसे आगे था. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार] 2017 में देश में 28,947 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना दर्ज की गईं. इस मामले में उत्तर प्रदेश 4,816 और महाराष्ट्र 4,189 रेप की घटनाओं के साथ देश में दूसरे व तीसरे स्थान पर था. नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में भी मध्य प्रदेश देश में सबसे ऊपर है. राज्य में ऐसे 2,479 मामले दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र 2,310 और उत्तर प्रदेश 2,115 ऐसी घटनाओं के साथ दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे. पूरे देश में 16,863 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले दर्ज किए गए थे. भारत में रेप के कुछ ऐसे मामले भी हुए, जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया था. इनमें 2012 का निर्भया गैंगरेप, 2013 का 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट का गैंगरेप, 2015 का 71 वर्षीय नन का पश्चिम बंगाल के रानाघाट में गैंगरेप, 2016 का दलित लड़की की हत्या व रेप, 2018 का कठुआ रेप केस शामिल हैं.
न्यूजीलैंड में:-
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट मुताबिक, न्यूजीलैंड (New Zealand) में हो रहे यौन हमलों की दर पूरे विश्व में हो रहे हमलों की औसत दर से कहीं अधिक है. लैंसेट ने रेप के मामलों में न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया के तीसरे स्थान पर रखा था. न्यूजीलैंड सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर दो घंटे में न्यूजीलैंड में यौन हिंसा से जुड़े हमले होते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, हर तीसरी लड़की और हर छठा लड़का 16 साल की उम्र से पहले ही यौन शोषण का शिकार हो जाता है. न्यूजीलैंड में पिछले एक साल में यौन हमले की वारदातों में 15 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई. यही नहीं, स्कूलों में ये संख्या दोगुनी हो गई. न्यूजीलैंड में केवल 9 प्रतिशत यौन अपराधों के मामले पुलिस तक पहुंच पाते हैं. पुलिस तक पहुंचे मामलों में केवल 13 फीसदी में ही अपराधी को सजा मिलती है. बाकी 91 फीसदी रेप के मामलों या तो पीड़ित ही पुलिस के पास नहीं जाती या पीड़ित को पुलिस शिकायत दर्ज नहीं कराने के लिए डराती धमकाती है.
कनाडा में 80 फीसदी दिव्यांग भी बनीं यौन हिंसा का शिकार:-
कनाडा (Canada) में यौन उत्पीड़न के मामलों में रिपोर्ट दर्ज कराने की संख्या में तेजी वृद्धि हो रही है. हफिंगटन पोस्ट के अनुसार, देश में हर साल 4,60,000 यौन हिंसा के मामले होते हैं. हर 1,000 यौन उत्पीड़न के मामलों में 33 ही पुलिस तक पहुंच पाते हैं. हालांकि, पुलिस इनमें भी 29 को अपराध के तौर पर दर्ज करती है. हर चौथी महिला अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार रेप का शिकार बनती है. वहीं, 11 फीसदी महिलाओं को रेप के दौरान गहरी शारीरिक चोट लगी थी. केवल 6 फीसदी घटनाओं की ही पुलिस को सूचना दी जाती है. रेप की 80 फीसदी घटनाओं में हमलावर पीड़ित के दोस्त और परिवार में से ही कोई होता है. सबसे परेशान घिनौनी बात यह है कि कनाडा में 83 फीसदी दिव्यांग महिलाओं का उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार यौन उत्पीड़न हुआ था. कनाडा में 17 फीसदी लड़कियां और 15 फीसदी लड़कों की उम्र यौन उत्पीड़न के समय 16 वर्ष से कम थी.
ऑस्ट्रेलिया में:-
ऑस्ट्रेलिया (Australia) में 2015 में जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के 52.2 लाख लोग यौन उत्पीड़न का शिकार थे. यौन उत्पीड़न के पीड़ितों में लगभग एक तिहाई लोगों ने हाल ही में हुई घटना की रिपोर्ट पुलिस को दी थी. हर छठी ऑस्ट्रेलियाई महिला से किसी अजनबी ने रेप किया था. ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा रेप विक्टिम 15 साल से ज्यादा उम्र की थीं. ऑस्ट्रेलिया 16.4 फीसदी महिलाओं ने अपने पार्टनर के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के रेप करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस मामले में ऑस्ट्रेलिया दुनिया में तीसरे स्थान पर है. एनएसडब्ल्यू रेप क्राइसिस सेंटर का कहना है कि इनमें से 70 फीसदी से ज्यादा यौन हमले परिवार के सदस्यों, दोस्तों, काम या स्कूल के सहयोगियों ने किए. 29 फीसदी मामलों में महिलाओं से तब रेप किया गया जब वे किसी से मिलने या किसी खास मौके पर कहीं गई हुई थीं. ऑस्ट्रेलिया में रेप के एक फीसदी आरोपी ही पूरी तरह से अनजान लोग थे. यानी रेप करने वाल 99 फीसदी आरोपी जान पहचान के थे.
जिम्बाब्वे में हर दिन 16 महिलाएं बनती हैं दरिंदगी का शिकार:-
रेप के मामले में जिम्बाब्वे (Zimbabwe) नौवें स्थान पर है. यहां हर 90 मिनट में कम से कम एक महिला का रेप किया जाता है. जिम्बाब्वे नेशनल स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, देश में एक महीने में करीब 500 महिलाओं का यौन शोषण और हर दिन 16 महिलाओं के साथ रेप की वारदात हुई. जिम्बाव्वे में साल 2015 के पहले तीन महीनों में कुल 1,524 रेप के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2014 के पहले तीन महीने में 1,285 ऐसे मामले सामने आए थे. पीडि़तों में 780 बच्चे थे, जिनकी उम्र 11 से 16 वर्ष के बीच थी. वहीं, 276 पीडि़तों की उम्र 5 से 10 वर्ष के बीच थी. नेशनल स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, कुछ मामलो में रिपोर्ट दर्ज नही कराई गई.
फिनलैंड में हर 20 में एक महिला बनाई गई थी रेप का शिकार:-
यूरोपीय यूनियन एजेंसी फॉर फंडामेंटल राइट्स की ओर से 2014 में किए गए सर्वे के मुताबिक फिनलैंड (Finland) में करीब 47 और डेनमार्क (Denmark) में 52 फीसदी महिलाओं ने शारीरिक छेड़छाड़ या यौन शोषण का अनुभव किया था. सर्वेक्षण के मुताबिक, हर 10 में एक महिला को 15 साल की उम्र से पहले ही किसी बालिग ने यौन हिंसा का शिकार बनाया था. वहीं, 10 में एक ने 15 साल की उम्र में यौन हिंसा को किसी न किसी रूप में अनुभव किया था. फिनलैंड में हर 20 में एक महिला का रेप किया गया था और 5 में एक ने अपने मौजूदा या पिछले साथी के शारीरिक या यौन हिंसा करने की बात कही थी. केवल 13 फीसदी महिलाओं ने पुलिस को इस गंभीर घटना की जानकारी दी थी.