धर्म। सू्र्य ग्रहण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका असर उन सभी जगहों पर पड़ता है, जहां पर यह दिखाई देता है। ग्रहण के प्रभाव में आने से पृथ्वी के जीव-जन्तु से लेकर पेड़-पौधों तक पर पड़ता है। इसलिए शास्त्रों में ग्रहण के सूतक काल के दौरान कई बातों का निषेध बताया गया है। इसका पालन करने से सूर्य ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण में बरते ये सावधानियां:-
सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो जाता है। इस दौरान धरती पर सूर्य किरणों का विशेष प्रभाव पड़ता है, जिससे बचने की सलाह शास्त्रों में दी जाती है। सूर्य ग्रहण के सूतक काल के दौरान शमशान या ऐसी किसी जगह जैसे खंडहर या सूनसान स्थान से ना गुजरें, क्योंकि ऐसे समय बुरी शक्तियां ज्यादा सक्रिय होती है, जो आपको अपने आगोश में ले सकता है। सूतक के समय गर्भवती स्त्रियों को खास ऐहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान सब्जी या किसी भी चीज को काटना नहीं चाहिए। साथ ही सूई-धागे का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल से ही खाद्य सामग्रियां दूषित हो जाती है, इसलिए इस दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। सूतक काल के दौरान शयन का भी निषेध है, लेकिन बच्चों, वृद्धों और बीमारों पर यह नियम लागू नहीं होता है। सूतक काल के समय तुलसी दल को तोड़ना और स्पर्श करना मना है। इस दौरान देव मूर्तियों के स्पर्श की भी मनाही है। सूतक काल के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। नहीं तो इस दौरान गर्भधारण होने पर होने वाला बच्चे पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। ग्रहण के दौरान सूर्य बगैर किसी बाधा के दिखाई देता है और इसको देखने पर सूर्य की चुभन भी महसूस नहीं होती है, लेकिन ऐसी गलती कभी ना करें, नहीं तो हमेशा के लिए आंखों पर बुरा असर हो सकता है। ग्रहण के नजारे देखने के लिए तयशुदा मानकों का पालन करें।