भोपाल/ एमपी में रेत माफिया काबू से बाहर हो चुके हैं। नतीजा कई रेत के लिए खून बह रहा है तो कहीं नदियों का सीना छलनी किया जा रहा है। यहां तक कि प्रदेश के ही दो मंत्री रेत गिट्टी के विवाद में उलझ रहे हैं। सवाल बस यही है कि माफिया मुक्त मध्यप्रदेश में रेत माफियाओं का क्या होगा।
मध्यप्रदेश में अवैध रेत खनन चरम पर है। हालात ये हैं कि अब भिंड मुरैना में रेत के लिए खून बहने लगा है तो छतरपुर बेल्ट में उत्तरप्रदेश के रेत माफिया आकर कोहराम मचा रहे हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के मंत्री भी अब रेत और गिट्टी की जंग में उलझने लगे हैं। रेत कांड की शुरुआत करते हैं भिंड से जहां लहार की पर्रायच रेत खदान में गोलीबारी की वारदात में एक युवक की मौत हो गई। तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। ये वही लहार है जहां से मंत्री गोविंद सिंह विधायक हैं जिन्होंने साफगोई से कबूला था कि अवैध रेत खनन रोकने में हम नाकामयाब रहे और इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी थी। लेकिन खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल का कहना है कि भिंड मुरैना में गोली चलना आम बात है।
रातों रात लखपति बनाने वाले रेत के खेल में मंत्री भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं और फिलहाल सिंधिया खेमे के ही दो मंत्री आमने-सामने हैं। महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने उनके क्षेत्र डबरा में बंद हुई रेत खदानों को लेकर बवाल मचा दिया। सीधे सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर पूछा कि केवल उनके इलाके की रेत खदानें ही बंद क्यों की गई है। बाकी पूरे प्रदेश में रेत खदानें चल रही है।
दरअसल, कुछ दिन पहले मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की शिकायतों के बाद इमरती देवी समर्थकों की 6 खदानों को बंद करा दिया गया था। इसका बदला लेते हुए इमरती देवी ने नाराज होकर 9 दिसंबर को प्रदूषण के नाम पर प्रद्युम्न समर्थकों की गिट्टी क्रेशर की शिकायत कर दी थी। लिहाजा ग्वालियर जिला प्रशासन ने बिलौआ क्षेत्र में प्रद्युम्न समर्थकों के क्रेशर की मंजूरी निलंबित कर दी। बदला पूरा होते ही मंत्री इमरती देवी ने अपने समर्थकों के लिए सीधे सीएम दरबार में मोर्चा खोला और पत्र लिखकर डबरा की 6 खदानों को फिर से शुरु करने की मांग की है।
रेत कांड के तीसरे अध्याय में वो रेत कारोबारी ही परेशान हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपयों की बोली लगाकर रेत खदानें खरीदी। आनंदेश्वर एग्रो फूड्स के मालिक सुनील कुमार गुप्ता ने सीधे मुख्यमंत्री और खनिज मंत्री को पत्र लिखा कि अवैध खनन बंद करवाइए। वरना 75 करोड़ से ज्यादा की बोली लगाकर हमें क्या हासिल होगा। अवैध रेत खनन पर बीजेपी ने एक साल में जमकर हमला बोला। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने ही अंदाज में सरकार पर हमला किया।
तो इन घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेत माफियाओं से असली कारोबारी परेशान हैं। ये रेत चोर नदियों की हत्या करने पर तुले हैं। छतरपुर की केन नदी हो या भिंड की सोन नदी। ये माफिया नदियों को पाटकर वहां सड़क बना रहे हैं। ताकि रेत चुराने में आसानी हो और ये आसानी से समझा जा सकता है कि बिना प्रशासन, पुलिस और राजनीतिक संरक्षण के इतनी मनमानी करना हर किसी के बस की बात नहीं। लिहाजा जो कांग्रेस सरकार माफिया मुक्त मध्यप्रदेश का ढिंढोरा पीट रही है उसे रेत माफियाओं पर भी शिकंजा कसना होगा। लेकिन जब रेत के खेल से सरकार के नुमाइंदों के ही राजनीतिक स्वार्थ जुड़े हों तो फिर किससे कार्रवाई की उम्मीद की जाए।