इतिहास डेस्क। भारत के महाराजा और महारानियों के किस्से भी गजब हैं. इसी में एक किस्सा कूच बिहार की महारानी इंदिरा देवी का भी है. वह अप्रतिम सुंदरी थीं और खासी फैशनपरस्त. उन्होंने इटली की एक जानी मानी जूता निर्माता कंपनी को 100 जोड़ी जूते बनाने का आर्डर दिया, जिसमें कुछ में हीरे और बेशकीमती रत्न लगाए जाने थे.
महारानी इंदिरा देवी इतनी खूबसूरत थीं कि अपने जमाने में उन्हें देश की सबसे सुंदर महिला माना जाता था. वो जयपुर की महारानी गायत्री देवी की मां थीं. रानी को बनने संवरने का बहुत शौक था. विदेशी फैशन के भी वो लगातार टच में रहती थीं. उन्होंने इटली की जिस कंपनी को सौ जोड़ी जूते बनाने का आर्डर दिया था. उसका नाम साल्वातोर फेरोगेमो था. ये कंपनी 20वीं सदी की सबसे फेमस डिजाइनर कंपनी मानी जाती थी. आज भी इस कंपनी के लग्जरी शो-रूम पूरी दुनिया में हैं.
खूबसूरती और शानदार पहनावे के लिए जानी जाती थीं:-
महारानी इंदिरा देवी बड़ौदा राज्य की राजकुमारी थीं. बाद में उनका विवाह कूच बिहार के महाराजा जितेंद्र नारायण से हुआ. इंदिरा देवी हमेशा अपनी खूबसूरती और पहनावे को लेकर सजग रहा करती थीं. देश में सिल्क, शिफॉन साड़ियों को ट्रेंड बनाने का श्रेय उनको दिया जाना चाहिए. जब सज संवर कर तैयार होती थीं तो उनका ग्रेस अलग ही लगता था.
साल्वातोर ने आत्मकथा में किया था महारानी का जिक्र:-
इटली के साल्वातोर फेरागेमो उनके पसंदीदा वेस्टर्न डिजाइनर्स में थे. साल्वातोर ने अपनी आत्मकथा में लिखा, एक बार महारानी ने उनकी कंपनी को जूते बनाने का आर्डर दिया, इसमें एक आर्डर इस तरह की सैंडल बनाने का था जिसमें हीरे और मोती जड़े हों. उन्हें ये हीरे और मोती अपने कलेक्शन के ही चाहिए थे. लिहाजा उन्होंने आर्डर के साथ हीरे और मोती भी भेजे थे.
इंदिरा की शादी की रोचक कहानी:-
महारानी इंदिरा देवी 1892 में पैदा हुई थीं और 1968 में उनका निधन हुआ. उन्होंने 76 साल की जिंदगी पाई. बाद में महाराना जितेंद्र नारायण के निधन के बाद वो कूच बिहार राज्य की रिजेंट भी बनीं, क्योंकि उनका बेटा उस समय छोटा था.
हो चुकी थी सगाई लेकिन किसी और से हो गया प्रेम:-
महारानी इंदिरा की शादी की भी रोचक कहानी है. बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश से ताल्लुक रखने वाली इंदिरा की सगाई बचपन में ही ग्वालियर के होने वाले राजा माधो राव सिंधिया से पक्की हो चुकी थी. इस बीच वो अपने छोटे भाई के साथ 1911 में दिल्ली दरबार में गईं, वहीं उनकी मुलाकात कूचबिहार के तत्कालीन महाराजा के छोटे भाई जितेंद्र से हुई. कुछ ही दिनों में उन्हें उनसे प्यार हो गया और उन दोनों ने शादी का फैसला किया.
इंदिरा को मालूम था कि उनके अभिभावकों को इसका पता लगेगा तो नाराज हो जाएंगे, क्योंकि इसमें कई मामले जुड़े हुए थे. इससे ग्वालियर के सिंधिया शासकों और बड़ौदा के बीच राजनीतिक संबंध बिगड़ जाएंगे. उस समय ग्वालियर राजघराना देश के विशिष्ट राजवंशों में था. शादी तोड़ने का मतलब था एक बड़े विवाद को खड़ा करना. वहीं जितेंद्र चूंकि महाराजा के छोटे भाई थे लिहाजा उनके राजा बनने के हालात भी नहीं नजर आ रहे थे.
खुद खत लिखकर तोड़ी सगाई:-
तब इंदिरा देवी ने खुद साहस दिखाते हुए ये सगाई तोड़ दी, उस दौर में सोचा नहीं जा सकता था कि कोई 18 साल की राजकुमारी ऐसा भी कर सकती है. उन्होंने अपने मंगेतर को खत लिखा कि वो उनसे शादी नहीं करना चाहतीं. इसके बाद बड़ौदा में इंदिरा के पिता को ग्वालियर के महाराजा का एक लाइन का टेलीग्राम मिला, आखिर राजकुमारी के पत्र का क्या मतलब है.
इंदिरा देवी के पेरेंट्स बेटी के इरादों के बारे में जानकर स्तब्ध रह गए. हालांकि ग्वालियर के महाराजा इस मामले में बहुत शालीनता से पेश आए. उन्होंने फिर एक खत लिखकर इंदिरा के पेरेंट्स से कहा कि उनकी स्थिति समझ सकते हैं, इसके नीचे उन्होंने आपका बेटा लिखकर अपने हस्ताक्षर किए. हालांकि बेटी के कदम से अभिभावकों को गहरा झटका लगा था.
पेरेंट्स नहीं चाहते थे कि वो प्रेम विवाह करें:-
इंदिरा के अभिभावकों ने ग्वालियर के राजघराने से सगाई का टूट जाना तो किसी तरह स्वीकार किया लेकिन उन्हें कतई मंजूर नहीं था कि उनकी बेटी जितेंद्र से शादी करे. क्योंकि उसकी इमेज प्लेबॉय की थी. उन्होंने जितेंद्र को चेतावनी दी कि वो उनकी बेटी से दूर रहें. लेकिन ये सब कुछ काम नहीं कर सका.
क्योंकि जितेंद्र और इंदिरा आपस में शादी करने का पक्का मन बना चुके थे.
पेरेंट्स ने कहा घर छोड़कर करें पसंद की शादी:-
आखिरकार उनके पेरेंट्स को ये बात माननी पड़ी. उन्होंने इंदिरा से घर छोड़कर लंदन जाने को कहा. जहां दोनों की शादी हुई. इंदिरा और जितेंद्र ने लंदन के एक होटल में शादी की, जिसमें इंदिरा के परिवार से कोई मौजूद नहीं था. उन्होंने ब्रह्म समाज के रीतिरिवाजों से शादी की. शादी के कुछ ही समय बाद जितेंद्र के बड़े भाई और कूच बिहार के महाराजा राजेंद्र नारायण गंभीर तौर पर बीमार पड़े और उनका निधन हो गया. फिर जितेंद्र कूच बिहार के महाराजा बने. इस दंपति का आगे का जीवन खुशनुमा रहा. उनके पांच बच्चे हुए. हालांकि बाद में ज्यादा शराब पीने से जितेंद्र का भी जल्दी ही निधन हो गया.
ज्यादा समय यूरोप में बीतता था:-
फिर लंबे समय तक कूच बिहार का राजकाज महारानी इंदिरा देवी ने ही पांच बच्चों के साथ संभाला. इंदिरा की प्रशासकीय क्षमता औसत थी लेकिन सोशल लाइफ में उनकी सक्रियता गजब की थी. उनका ज्यादा समय यूरोप में गुजरा करता था.
