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Sunday, January 19, 2020

कुख्यात गिरोह के निशाने पर इस राज्य के रईस कारोबारी, अपहरण कर वसूल रहे करोड़ों रुपये

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के उद्योगपति प्रवीण सोमानी का दिनदहाड़े अपहरण करने वाले गिरोह का नौवें दिन भी सुराग नहीं मिल पाया। छत्तीसगढ़ में कारोबारी के अपहरण का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई कारोबारियों, पैसे वालों के बेटे आदि को बाहरी गिरोह ने अगवा कर करोड़ों वसूलने के बाद छोड़ा है। ऐसा नहीं है कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही हो। अपहरण के एक-एक मामले की तफ्तीश कर पुलिस ने गिरोह को बेनकाब कर आरोपितों दबोचा भी है। पुलिस अफसरों का दावा है कि छत्तीसगढ़ के कारोबारी बाहरी गिरोह के निशाने पर हैं। बिहार, उप्र का गिरोह करोड़ों रुपये वसूलने लगातार कारोबारियों को अगवा कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में दो दर्जन से अधिक चर्चित अपहरणकांड हुए हैं। इनमें वर्ष 2009 में दुर्ग के पेट्रोल पंप संचालक जयचंद वैद्य का अपहरण सबसे चर्चित रहा है। वैद्य को अगवा करने वाले बिहार के कुख्यात गैंगस्टर उपेंद्र सिंह उर्फ कबरा गैंग का हाथ निकला था। कई दिनों तक अपहरणकर्ताओं के चंगुल में रहने के बाद वैद्य सकुशल छूटकर घर पहुंचे थे। चर्चा थी कि वैद्य के परिजनों ने गैंग को करोड़ों की फिरौती दी थी तब वैद्य की रिहाई संभव हो पाई थी। बाद में पुलिस ने कबरा समेत गैंग से जुड़े बिहार के वैशाली जिले के तत्कालीन लोजपा सांसद रामा सिंह समेत अन्य को गिरफ्तार किया था।
गैंग के अधिकांश लोग अपनी जुर्मों की सजा दुर्ग जेल में काट रहे हैं। साढ़े चार साल पहले सितंबर 2015 में कारोबारी विवेक गोयल को अगवा कर अपहरणकर्ता उसे कार की डिक्की में डालकर 28 घंटे इधर-उधर घुमाते हुए पुलिस के फंदे पर फंस गए थे। आरोपितों की फिरौती वसूलने का मंसूबा पूरा नहीं हो पाया। गैंग के सरगना रविंद्र देवांगन समेत अन्य पकड़े गए थे।
ये हैं चर्चित अपहरणकांड:-
1- 2009 में सिविल लाइन के कारोबारी वाधवानी का अपहण हुआ था। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर पचपेड़ी नाका स्थित एक फ्लैट में बंधक बनाकर रखे गए वाधवानी को सुरक्षित छुड़ाकर अपहरणकर्ताओं को पकड़ा था।
2- 2011 में टिकरापारा इलाके में एक कारोबारी को अगवा कर डूंडा के एक फ्लैट में विशेष तरह के तहखाने में बंधक बनाने वाले पिता-पुत्र समेत चार आरोपितों को पुलिस ने 48 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया था।
3- मार्च 2017 में सीएमजीएसवाई के इंजीनियर सुशील गुप्ता का अपहरण करने वाले छह आरोपित 18 घंटे में पकड़े गए थे। इंजीनियर को बोरियाकला स्थित हाउसिंग बोर्ड के एक मकान में बंधक बनाकर रखा गया था। अपहरण कांड के मास्टर माइंड कानपुर (उप्र) के मनोज शर्मा, उसकी पत्नी प्रीति शर्मा, पुणे के समीर खान, उसकी पत्नी मालती उर्फ खुशी खान, समीर का साला एबान मिस्त्री और राहुल अभी भी जेल में हैं। आरोपितों ने फिरौती की रकम से ऐशो आराम की जिंदगी गुजारने के सपने देखे थे।
4- अप्रैल 2019 में बिलासपुर के बर्तन कारोबारी विवेक सराफ के बेटे विराट अपहरणकांड के मुख्य आरोपित राज किशोर सिंह, अनिल सिंह, हरेकृष्ण राय व सतीश शर्मा को गिरफ्तार किया था। अपहरणकर्ता विवेक से मोटी रकम वसूलना चाहते थे।
5- जुलाई 2015 को दुर्ग के उद्योगपति आशीष गोयल को अगवा कर लिया गया था। पुलिस ने घंटों इस मामले को दबाए रखा। 24 घंटे बाद आशीष रहस्मय ढंग से घर वापस लौटे। उन्होंने पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी लिहाजा अपहरणकर्ता नहीं पकड़े जा सके। इस मामले में फिरौती देकर छूटने की चर्चा है।
सरगना पकड़ा गया तो दूसरा संभालता है गैंग:-
पुलिस अफसरों ने बताया कि अपहरण करने वाले गिरोह का कोई सरगना अगर पकड़ा जाता है तो गैंग को नया सदस्य आपरेट करने लगता है। उपेंद्र सिंह कबरा जरूर पकड़ा गया, लेकिन अभी भी उसके गिरोह का संचालन राहुल और सूरज कर रहे हैं।
बिहार, झारखंड में सक्रिय अपहरण गैंग:-
मुकेश पाठक, पिंटू देव, प्रमोद ठाकुर, शमीम अख्तर, विपिन सिंह, गुड्डू झा, अमित पांडेय, चंद्रशेखर झा, मंटु पांडेय, प्रभाकर झा आदि गैंग बिहार, झारखंड में सक्रिय हैं।