भोपाल. मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के एक फैसले के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस के विधायक नाराज हो गए हैं। इसके साथ ही वो विधायक भी नाराज हैं जो कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे हैं। दरअसल, कमलनाथ सरकार ने विधायक निधि के खर्च पर कुछ बंदिशें लगा दी हैं।
विधायक यह राशि निजी स्कूल के भवन निर्माण, फर्नीचर-टाटपट्टी आदि खरीदने के साथ धर्मशाला, सामुदायिक भवन निर्माण या सामाजिक संस्थाओं और ट्रस्टों को नहीं दे पाएंगे। सरकार की बंदिश से सत्ता और विपक्ष दोनों के विधायक नाराज हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में काम करने का एक मात्र साधन विधायक निधि ही है।
क्यों बदला गया फैसला:-
दरअसल, प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार के 15 वर्षों में सत्ताधारी दल के कई विधायकों ने अपने क्षेत्र में सरस्वती शिशु मंदिर के भगन बनाने और फर्नीचर की व्यवस्था के विए पैसा दिया था। उस समय कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए इसका विरोध किया था। सरकार का ये निर्णय इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या कहा कांग्रेस विधायकों ने:-
कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने कहा- इस तरह के प्रतिबंध जायज नहीं हैं। विधयाक अपने क्षेत्र में काम ही कैसे कर पाएंगे। विधायक निधि से हम अपने क्षेत्र में छोटे-छोटे जनकार्य करवाते हैं। इसमें सामुदायिक भवन और निजी स्कूल भी शामिल हैं। सरकार का यह निर्णय ठीक नहीं है। इसे सुधारकर व्यवस्था पूर्वत की जाना चाहिए।
वहीं, सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा ने कहा- विधायक निधि का पैसा सामाजिक संस्थाओं औऱ जरूरतमंद को न दें तो क्या सरकारी संस्थाओं को दें। अगर ऐसा है तो फिर सरकार ही अपनी तरफ से पैसा खर्च कर लें। विधायकों के माध्यम से खर्च कराने की क्या जरूरत है। इस निधि से हम उन रजिस्टर्ड संस्थाओं की मदद करते हैं। जहां वास्तव में आवश्यकता है। यह निर्णय गलत है। मैं विधानसभा में इस मुद्दो को उठाऊंगा।
क्या कहा भाजपा ने:-
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा- सरकार ने विधायकों के अधिकारों पर अतिक्रमण किया है। सरकार के पास आइफा अवार्ड में फिजूलखर्ची के लिए पैसा है, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधियों के हक का पैसा वो सही जगह नहीं लगवाना चाहती है। छोटे-छोटे गांव में सामुदायिक भवन इस निधि से बनाए जाते हैं। सरकार को यह निर्णय वापस लेना होगा। विपक्ष विधानसभा में इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठाएगा।