इंदौर। आने वाले वित्त वर्ष में नगर निगम से लेकर आम घरों पर बिजली के खर्च का बोझ बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने बिजली की दर वृद्धि का प्रस्ताव मप्र विद्युत नियामक आयोग को सौंप दिया है। सबसे ज्यादा दर वृद्धि का प्रस्ताव नगरीय निकायों को दी जाने वाली बिजली के लिए दिया गया है। कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली महंगी करने की मांग बिजली कंपनियों ने की है। आयोग को सौंपे प्रस्ताव के मुताबिक सार्वजनिक जल प्रदाय और रास्तों पर रोशनी के लिए नगर निगम और अन्य निकायों को जो बिजली दी जाती है, उसकी दर में अब 6.62 प्रतिशत की वृद्धि करने की मांग रखी गई है। लगभग इतनी ही वृद्धि कृषि कनेक्शनों की बिजली दरों के लिए की गई है।
इसके अलावा घरेलू कनेक्शनों के लिए भी बिजली के दाम मौजूदा के मुकाबले 5.28 प्रतिशत बढ़ाने के लिए बिजली कंपनियों की ओर से आयोग को लिखा गया है। आयोग ने बिजली कंपनियों की दर वृद्धि याचिका पर उपभोक्ताओं से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। 7 मार्च तक सुझाव नियामक आयोग तक भेजने की तिथि निर्धारित की गई है। इसके बाद आपत्तियों और सुझाव पर सुनवाई कर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
टूट जाएगी निगम की कमर:-
यदि बिजली कंपनियों की ओर से दी गई दर वृद्धि के प्रस्ताव को नियामक आयोग ने मंजूरी दी तो इंदौर नगर निगम की आर्थिक रूप से कमर टूट जाएगी। इंदौर नगर निगम नर्मदा परियोजना के जलप्रदाय के लिए बिजली बिल चुकाने पर ही सालाना करीब 150 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। निगम को बिजली कंपनी अभी करीब 6.80 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दे रही है। दर वृद्धि से यह खर्च और बढ़ेगा। दर वृद्धि के बाद यह खर्च पौने दो सौ करोड़ तक पहुंच सकता है, क्योंकि निगम जलप्रदाय का क्षेत्र लगातार बढ़ा रहा है। साथ ही सड़कों पर रोशनी के लिए भी पहले से ज्यादा व्यवस्था होने लगी है। इससे निपटने के लिए नगर निगम को लोगों के लिए पानी के बिल की राशि में वृद्धि करनी होगी। यदि चुनाव के चक्कर में ऐसा नहीं किया जाता तो पहले से आर्थिक परेशानी से दो-चार हो रहे निगम की हालत और खस्ता हो जाएगी।