जरा हटके। दिल्ली चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं। देश की राजधानी में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बन चुकी है। अरविंद केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके है। इस बीच हम आपको बता रहे हैं दिल्ली की राजनीति की ऐसी दो शख्सियतों के बारे में जिन्हें यहां की जनता ने खूब प्यार तो दिया ही, साथ ही एक उपाधि भी दी। उस मुख्यमंत्री के बारे में जिन्हें दिल्ली की राजनीति का मुगल-ए-आजम कहा जाता था। साथ ही उस राजनीतिक हस्ती के बारे में जो 'दिल्ली का शेर' कहलाते थे।
मदन लाल खुराना:-
★मदन लाल खुराना का जन्म अविभाजित भारत के ल्याल्लपुर (वर्तमान फैसलाबाद) में हुआ। विभाजन के समय उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा, जिसके बाद वे नई दिल्ली के कीर्ति नगर के शरणार्थी शिविर में रहे।
★मदनलाल खुराना उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थे जो भाजपा के गठन से पहले से ही संघ परिवार से जुड़े हुए थे।वे साल 1965 से 1967 तक जनसंघ के महासचिव रहे और दिल्ली में जनसंघ के चर्चित चेहरों में से एक रहे।
★मदन लाल खुराना के राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 के दशक में वे भाजपा की दिल्ली इकाई का चेहरा थे।
★साल 2013 में उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ जिस कारण वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। 24 अक्तूबर 2014 को उनका निधन हो गया। कार्यकर्ताओं के बीच उन्हें 'दिल्ली का शेर' कहा जाता था।
चौधरी ब्रह्म प्रकाश:-
★चौधरी ब्रह्म प्रकाश केवल 33 साल की उम्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए थे। उस समय के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे।
★चौधरी जनता के बीच काफी चर्चा में रहते थे। जनता के बीच ज्यादा समय बिताने के लिए वो आम लोगों की तरह सरकारी बसों में सफर किया करते थे।
★उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। वे लगभग हर दूसरे दिन दिल्ली के कनॉट प्लेस से कोई किताब जरूर लिया करते थे।उन्होंने कभी अपनी जाति को नाम के साथ नहीं जोड़ा। राष्ट्र के प्रति उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उनके सम्मान में 11 अगस्त 2001 को स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था।
★इतिहासकार आरवी स्मिथ के अनुसार चौधरी ब्रह्म प्रकाश का जन्म केन्या में हुआ था और 16 साल की उम्र में माता-पिता के साथ वे दिल्ली आ गए थे।
दिल्ली की राजनीति में चौधरी ब्रह्म प्रकाश को 'मुगल-ए-आजम' के नाम से भी जाना जाता था।