ग्वालियर। मध्यप्रदेश में सत्ता से बेदखल होते ही कांग्रेस पार्टी में अब नई प्लानिंग को लेकर मंथन चल रहा है। यह प्लान है कि अब आगामी समय में होने वाले उपचुनाव को लेकर और नेता प्रतिपक्ष किसको बनाया जाए। ऐसे में इस समय जो नाम सबसे तेजी से सामने आया है वह है ग्वालियर चंबल संभाग के दिग्गज कांग्रेसी विधायक और पूर्व मंत्री का। साथ ही कांग्रेस पार्टी के नेता अब प्रदेश की उन 24 सीटों की ब्यूह रचना बनाने में अभी से जुट गई है, जहां उपचुनाव होंगे।
आगामी दिनों में जिन 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे,उनमें 18 ग्वालियर-चंबल की हैं। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि नेता प्रतिपक्ष का चयन उपचुनाव को देखते हुए किए जाने की संभावना सबसे अधिक है। इसके लिए वरिष्ठ विधायकों में से डॉ. गोविंद सिंह,सज्जन सिंह वर्मा व बाला बच्चन के नाम पर विचार किया जा रहा है। साथ ही ग्वालियर चंबल के दिग्गज नेता और वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने की बात कही जा रही है।
इसकी मुख्य वजह है कि ग्वालियर चंबल संभाग में गोविंद सिंह की अच्छी खासी पकड़ है। बता दें कि पिछले दिनों पार्टी नेताओं की एक बैठक में भी आम सहमति बनी है। जिसमें बताया गया है कि नेता प्रतिपक्ष का चयन जल्दी कर लिया जाए। साथ ही उपचुनाव लडऩे वाले केंडिंडेट के नाम भी दो महीने पहले ही घोषित कर दिए जाएं। जिससे कांग्रेस को इस उपचुनाव में अधिक से अधिक सीटे मिल सके। सूत्रों से पता चला है कि डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के पीछे पार्टी नेताओं का तर्क है,चूंकि प्रदेश में जिन 24 विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है, उनमें 18 ग्वालियर-अंचल की हैं। कांग्रेस से वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा मे शामिल होने के बाद इस क्षेत्र में पार्टी ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है, जो सिंधिया को टक्कर दे सके। इस हिसाब से विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह का नाम ही ऐसा है जिसका इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है और वह चंबल में पार्टी को अच्छी खासी सीटें भी दिला सकते हैं।
वहीं कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में ग्वालियर-चंबल से अनुसूचित जाति वर्ग से फूल सिंह बरैया को राज्यसभा का उम्मीदवार भी बनाया है। जिसका लाभ भी पार्टी उपचुनाव में लेना चाहती है। इतना ही नहीं इस उपचुनाव में डॉ. गोविंद सिंह,अशोक सिंह और फूल सिंह बरैया सहित अन्य अपनी ताकत झौंकेंगे और उनकी इसी ताकत का पार्टी को फायदा भी मिल सकता है।