भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा को कोरोना वायरस के कारण 26 मार्च तक के लिए स्थागित कर दिया गया है। विधानसभा स्थागित होने के कारण सदन में फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका। वहीं, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए भाजपा विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे। सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल से मुलाकात कर भाजपा मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कर सकती है। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली में भी सियासी हलचलें तेज हो गई हैं।
राजभवन पहुंचे शिवराज सिंह:-
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सभी विधायकों को लेकर राजभवन पहुंचे। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि मैं राज्यपाल से सौजन्य भेंट करने आया हूं। दूसरी तरफ सीएम कमलनाथ ने कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि उसके पास पूर्व बहुमत है तो वो सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर:-
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। शिवराज सिंह चौहान के वकील सौरभ मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान की याचिक मंजूर कर ली है। कोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।
अब क्या विकल्प:-
संविधान के जानकारों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं। स्पीकर के पास अभी दो विकल्प हैं। या तो वे कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लें या उन्हें डिस्क्वालिफाई (अयोग्य) करार दें। अगर कांग्रेस के बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर होता है तो कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
क्या लग सकता है राष्ट्रपति शासन:-
जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश के सियासी घटनाक्रम को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि क्या हो सकता है। राज्यपाल का ये अधिकार है कि वो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। जानकारों का कहना है कि अगर सरकार या विधानसभा स्पीकर जानबूझकर फ्लोर टेस्ट नहीं कराते तो राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं।