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Wednesday, April 1, 2020

रिसर्च में हुआ खुलासा, 23 डिग्री सेल्सियस पर खत्म हुए आधे कोरोना वायरस

विशेष। दुनियाभर के लोग जब कोरोना वायरस के खतरे से भयभीत है। चारों और यह वायरस लोगों को अपने आगोश में ले रहा है। अब तक हजारों लोग इस वायरस की वजह से मौत के मुंह में समा चुके हैं और लाखों इसके संक्रमण से प्रभावित है, ऐसे में एक राहतभरी खबर भी आई है। यह खबर भारत में हो रहे तापमान के इजाफे से आई है। बीएचयू के जीन वैज्ञानिक प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे और दिल्ली स्थित आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के डॉ.प्रमोद कुमार ने एक शोध के बाद यह बताया कि शून्य से 23 डिग्री सेल्सियस तक आते-आते कोविड-19 वायरस की संख्या आधी हो गई थी। जीन वैज्ञानिकों ने लैब में शून्य से लेकर 29 डिग्री सेल्सियस तक कोविड-19 की हरकत पर कड़ी निगाह रखी।
गंगा के मैदानी इलाके में तापमान में हुआ इजाफा:-
प्रो.चौबे केअनुसार कोरोना पर किया गया यह शोध जनता और प्रशासन को राहत पहुंचाने वाला है। फिलहाल गंगा के मैदानी इलाके में तापमान अधिकतम 30 डिग्री तक पहुंच चुका है, जिससे इस वायरस की आधी समस्या समाप्त हो गई है लेकिन, फिर भी सतर्कता बेहद जरूरी है। तापमान के आधार पर कोरोना वायरस के अस्तित्व का गणितीय आकलन किया जा सकता है। इन वैज्ञानिकों का दावा है कि तूफान, चक्रवात, बाढ़ और मौसम के दौरान जान बचाने और राहत को लेकर जिस तरह देश में भविष्यवाणी की जाती है, उसी तरह कोरोना को लेकर महामारी की आशंका की पहले से सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
बढ़ते तापमान से होगी महामारी कम:-
प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे के अनुसार बीजिंग द्वारा निर्धारित वायरस के आरएनए सीक्वेसिंग को आर प्रोग्रामिंग की मदद से तापमान के साथ महामारी का कंप्यूटर सिमुलेशन किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट डॉ. प्रमोद को चीन से भेजी जाती है। यहां एक खास प्रकार की बीएसएल-4 लैब में अलग-अलग तापमान पर वायरस की हरकतों को नोट कर उनको कंप्यूटर सिमुलेशन के आंकड़े से मेल कराया जाता है। जब दोनों आंकड़े 99.99 फीसद मिल जाते हैं तो इससे कोरोना के घटते स्तर की पुष्टि हो जाती है।
डॉ.प्रमोद कुमार ने बताया कि इस शोध पर वह प्रो.चौबे के साथ पिछले 20 दिनों से लगे थे। अपने शोध ससे उनको यह भी पता चला कि आठ डिग्री सेल्सियस तापमान कोविड-19 के पनपने की सबसे बेहतर स्थिति है। इस खोज के आधार पर दोनों जीन वैज्ञानिकों को हॉर्वर्ड, कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे वैश्विक संस्थानों के वैज्ञानिकों की कंसोर्टियम में भी शामिल किया गया है।