भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना का कहर पूरी दुनिया में है। कोरोना संकट के बीच राजनीति भी अपनी चरम पर है। बस नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। सत्ता में भाजपा है तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कोरोना संकट से प्रदेश को मुक्त कराना। कांग्रेस विपक्ष में है इसलिए कांग्रेस का फोकस कोरोना संकट से ज्यादा प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में है। कांग्रेस नेता कोरोना संकट को लेकर ट्वीट करते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता तक अपनी बात भी पहुंचा रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना रूतबा दिखाते हुए मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरा दी। सिंधिया अब अपने समर्थकों के साथ भाजपा में हैं और विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली भाजपा 15 महीने पर फिर से सत्ता में काबिज हो गई। कांग्रेस अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के दांव पर पलटवार करने की योजना बना रही है। दरअसल, सांवेर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक तुलसीराम सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी और खास नेता माने जाते हैं। सिलावट के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के पास सांवेर विधानसभा में कोई बड़ा चेहरा नहीं है जो तुलसी राम को टक्कर दे सके। इसलिए कांग्रेस प्रेमचंद गुड्डू के घर वापसी की कोशिश में लगी है।
दिग्विजय ने संभाला मोर्चा:-
प्रेमचंद गुड्डू मालवा में कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने अपना खेमा बदला और भाजपा में शामिल हो गए। प्रेमचंद गुड्डू के भाजपा में शामिल होने की स्क्रिप्ट पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने लिखी थी। प्रेमचंद गुड्डू भाजपा में आ तो गए, लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने उन्हें काम नहीं दिया। ऐसा कहा जा रहा है कि उज्जैन और इंदौर में पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होने का न्यौता भी नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण अब वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं। प्रेमचंद गुड्डू के घर वापसी की कोशिश पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। गुड्डू को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है।
बीते साल शुरू हुईं थी वापसी की अटकलें:-
अक्टूबर 2019 में प्रमेचंद गुड्डू ने कांग्रेस में वापसी की कोशिश शुरू की थी। उन्होंने अपने कॉलेज के कार्यक्रम में भाजपा के किसी नेता को नहीं बुलाया था इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह। कार्यक्रम में कांग्रेस के कई नेता शामिल हुए थे लेकिन भाजपा के नेताओं को गुड्डू ने न्यौता नहीं दिया था। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रहीं थी कि प्रेमचंद गुड्डू की कांग्रेस में वापसी हो सकती है। लेकिन तब कमलनाथ सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और तुलसी राम सिलावट इस फैसले से संतुष्ट नहीं बताए जा रहे थे। हालांकि इस संबंध में दोनों ही नेताओं ने खुलकर कोई बयान नहीं दिया था।
सिंधिया नहीं करते हैं पसंद:-
ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रेमचंद गुड्डू को पसंद नहीं करते हैं। कांग्रेस छोड़ते समय गुड्डू ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए कहा था कि कांग्रेस में राजा-महाराज टिकट के लिए लड़ रहे हैं, इसके साथ ही वो कई बार सिंधिया पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर चुके हैं। अब सिंधिया खुद भाजपा में हैं और मालवा क्षेत्र में उनके करीबी है तुलसी सिलावट। ऐसे में प्रेमचंद गुड्डू के लिए मुश्किलें हो सकती हैं।
गुड्डू की वापसी क्यों चाहती है कांग्रेस:-
सांवेर विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं। तुलसी सिवालट प्रदेश के मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया का पूरा समर्थन है तो भाजपा खेमा भी उन्हें उपचुनाव में जिताकर अपनी सरकार को स्थिर करने की कोशिश में है। ऐसे में कांग्रेस का पलड़ा कमजोर होता दिख रहा है। इसलिए कांग्रेस ऐसे चेहरे की तलाश में है जो तुलसी सिलावट को टक्कर दे सके। प्रेमचंद गुड्डू सांवेर विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद प्रेमचंद गुड्डू के कांग्रेस में वापसी की औपचारिक घोषणा हो सकती है।
गुड्डू का राजनीति सफर:-
1998 में सांवेर विधानसभा से भाजपा के कद्दावर नेता प्रकाश सोनकर को हराया।
2003 में आलोट विधानसभा से भाजपा के मनोहर ऊंटवाल को हराया।
2008 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने गुड्डू को हराया।
2009 में उज्जैन लोकसभा से भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया को हराकर सांसद बने।
2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा के प्रोफेसर चिंतामणि मालवीय से हार गए थे।
तुलसीराम सिलावट का सफर:-
तुलसी राम सिलावट के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1977 में शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर के छात्र संघ चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनने से हुई। 1982 में निकाय चुनाव जीतकर नगर निगम इंदौर के पार्षद बने। 1985 के विधानसभा चुनाव में सांवेर से पहली बार चुनाव जीते और विधायक बने। हालांकि उसके बाद उन्हें दो बार हार का सामना करना पड़ा। 1998 से 2003 में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहे। साल 2007 के उप विधानसभा चुनाव में जीतकर दोबारा विधायक बने। इसके बाद साल 2008 एवं 2018 के विधानसभा चुनावों में इंदौर की सांवेर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। भाजपा की मौजूदा सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं।