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Thursday, April 23, 2020

अच्छी खबर- यहां फैलता है डेंगू-मलेरिया उन प्रकोप वाले क्षेत्रों से दूर है कोरोना वायरस संक्रमण

इंदौर। कोरोना का दंश झेल रहे प्रदेशवासियों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। मेडिकल स्टडीज में पता चला है कि जिन क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहा है, कोरोना वहां आसानी से पैर नहीं पसार पाता है। इसकी वजह है मलेरिया और डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में बनी एंटीबॉडीज। ये एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को आसानी से शरीर पर हमला नहीं करने देतीं। हमला होता भी है तो शरीर में वायरस के लक्षण नजर नहीं आते और व्यक्ति बगैर विशेष प्रयास के आसानी से स्वस्थ हो जाता है। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के आपसी संबंध को लेकर मेडिकल साइंस में शोध चल रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी ही कोई ठोस परिणाम सामने होंगे।
मंडला, डिंडोरी, झाबुआ, अनूपपुर, अंबिकापुर, बालाघाट जैसे एक दर्जन से ज्यादा जिले हैं जहां कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आया। इन्हीं जिलों में हर साल मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहता है। हजारों लोग इन दोनों बीमारियों के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के संबंध को लेकर विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अकसर यह बात सामने आती है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति में सर्दी-खांसी, जुकाम, सिरदर्द, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत जैसा कोई लक्षण ही नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है। इसकी वजह है कि मलेरिया-डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में जो एंटीबॉडीज विकसित होती हैं, वे कोरोना वायरस को टक्कर देती हैं और आसानी से हमला नहीं करने देतीं। डेंगू आरएनए वायरस से होता है।
आ रहे सकारात्मक परिणाम:-
मेडिकल साइंस भी मानता है कि डेंगू के इलाज के दौरान आरएनए वायरस को टक्कर देने वाली एंटीबॉडीज किसी दूसरे तरह के आनएनए वायरस से निपटने में भी सक्षम होती हैं और कोरोना वायरस आरएनए वायरस ही है। भले ही कोरोना का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीजों को एंटी मलेरिया (मलेरिया के इलाज में काम आने वाली) दवाइयां जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दी जा रही हैं और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ भी रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ भी मलेरिया, डेंगू और कोरोना के आपसी संबंधों से इन्कार नहीं कर रहे।
विदेश में भी सही है थ्योरी:-
विश्वभर में डेंगू और मलेरिया के 80 प्रतिशत मामले अफ्रीका और भारत व इससे जुड़े देश जैसे पाकिस्तान, नेपाल, भूटान में होते हैं। मलेरिया के इलाज के दौरान शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडीज का ही असर है कि इन सभी देशों में यूरोप और अमेरिका के मुकाबले कोरोना वायरस का असर बहुत कम है। अफ्रीका के कुछ देश ऐसे भी हैं जिनमें कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया।
इनका कहना है:-
जिन इलाकों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप ज्यादा रहा है, वहां कोरोना का असर कम देखने को मिल रहा है। इसकी बड़ी वजह मलेरिया के इलाज के दौरान शरीर में विकसित हो चुकी एंटीबॉडीज हो सकती हैं। इसके अलावा भी कुछ और परिस्थितियां हो सकती हैं, लेकिन अब तक की स्टडीज में यही बात सामने आई है। इसे लेकर शोध चल रहा है। 
-डॉ. वीपी पांडे, प्रोफेसर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज-

शरीर में बनी एंटीबॉडीज सामना करती हैं:-
डेंगू और कोरोना दोनों ही आरएनए वायरस हैं। डेंगू के इलाज के दौरान बनी एंटीबॉडीज कोरोना के वायरस से भी मुकाबला करेंगी। डेंगू और मलेरिया दोनों ही मच्छरजनित बीमारियां हैं। ऐसे में कहीं न कहीं डेंगू-मलेरिया और कोरोना आपस में जुड़े नजर आते हैं। इस संबंध में शोध लगातार चल रहा है। उम्मीद की जाना चाहिए कि परिणाम जल्दी ही सामने होंगे। 
-डॉ. संजय दीक्षित, डीन, रतलाम मेडिकल कॉलेज-