दतिया/ मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है। हालांकि, संक्रमण से बचाव को लेकर इस समय सरकार और प्रशासन बेहद मुस्तैद है। इनमें चिकित्सक और पुलिसकर्मियों की भूमिका बेहद खास है। ये कहना गलत नहीं होगा कि, इस समय प्रशासन के ये दोनो ही योद्धा आम इंसान और कोरोना वायरस के बीच एक दीवार के समान खड़े हैं। जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमण से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं दोनो लोगों की मेहनत का नतीजा है कि, दतिया में कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद जिला एक बार फिर कोरोना संक्रमण से मुक्त होने में सफल हुआ है।
परिवार से दूर हैं कई डॉकटर:-
फिलहाल, जिल संक्रमण मुक्त है। जिसे संकरमण मुक्त करने के लिए पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्यकर्मी लगातार अपनी जिम्मेदारी के प्रति मुस्तैद हैं। ये कोरोनावॉरियर्स लगातार अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, वह भी अपनों को सुरक्षित रखने की चुनौती के साथ। इन्हीं में शामिल हैं महिला अफसर। इस संक्रमण काल में ड्यूटी के चलते ये अफसर अपने बच्चों को वह ममता नहीं दे पा रही हैं, जो अब तक देती आई हैं। तो आिये जानते हैं कोरोना वारियर्स की खास कहानी, जो आपके दिल को छू लेगी।
20 दिन से मां ने बच्चे को गोद में नहीं उठाया:-
बड़ौनी थाना प्रभारी भूमिका दुबे के मुताबिक, 3 साल का बेटा है। उसे 20 दिन से गोद में नहीं लिया। मैं खुद ड्यूटी के दौरान कई लोगों के संपर्क में आती हूं इसलिए बच्चे से दूरी बना रखी है। दतिया पुलिस लाइन में सरकारी आवास है। मेरे थाने से यह 12 किमी दूर है। मैं तीन-चार दिन की ड्यूटी के पाद एक बार रात 11 बजे घर पहुंचती हूं। उस समय बेटा सो जाता है। सुबह ड्यूटी के लिए निकलती हूं तो वह सो रहा होता है। उसे दूर से देख लेती हूं। भीड़ में जाती हूं इसलिए संक्रमण का डर बना रहता है। बच्चा गोद में आने और मिलने के लिए रोता है। उसका वजन भी 3 किलो घट गया है, लेकिन ड्यूटी तो ड्यूटी है।